केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अपने खर्च पर इस तरह की गणना करने की अनुमति दी: जीवेश मिश्रा

पटना। बिहार में जाति आधारित जनगणना का रास्ता साफ हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस संबंध में सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। जिसमें जाति आधारित जनगणना को लेकर विस्तृत चर्चा हुई और फिर कैबिनेट ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। ऐसे में जाति आधारित जनगणना के लिए 500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया और सर्वेक्षण पूरा करने के लिए 23 फरवरी की समय सीमा निर्धारित की गई।

आपको बता दें कि पिछले कुछ वक्त से बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर जमकर सियासत हो रही है और इस मामले को लेकर राजद और जदयू एक स्वर में अपनी आवाज को बुलंद कर रहे थे। ऐसे में सर्वदलीय बैठक में अंतत: जाति आधारित गणना कराने पर सहमति बनी।

जातीय गणना पर लगी मुहर

इसी बीच बिहार के श्रम मंत्री जीवेश मिश्रा का बयान सामने आया। जिसमें उन्होंने बताया राज्य अपने खर्च पर जनगणना करा रही है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बिहार के श्रम मंत्री जीवेश मिश्रा ने बताया कि यह जातीय जनगणना नहीं, जातीय गणना है। बिहार के सभी राजनीतिक दलों ने इस पर मुहर लगाई है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अपने खर्च पर इस तरह की गणना करने की अनुमति दी है। इसे कराने के लिए पैसा लगेगा इसलिए 500 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। 

गौरतलब है कि बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा जातीय गणना के पक्ष में साल 2018 और 2019 में दो सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किए गए थे। नीतीश कुमार और मुख्य विपक्षी पार्टी राजद का तर्क रहा है कि विभिन्न सामाजिक समूहों का एक नया अनुमान आवश्यक है क्योंकि पिछली जातीय जनगणना 1921 में हुई थी।

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