चंडीगढ़: स्वदेशीकरण से वायुसेना ने डेढ़ साल में 160 करोड़ की बचत की

जहाजों के रखरखाव के लिए भारतीय वायुसेना आत्मनिर्भरता की राह पर है। थ्री-बेस रिपेयर डिपो (बीआरडी) के डायमंड जुबली समारोह में पहुंचे वायुसेना के रखरखाव कमान प्रमुख एयर मार्शल विभास पांडे ने कहा कि रोजमर्रा में सर्विसिंग में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स के लिए वायुसेना 95 से 97 फीसदी तक आत्मनिर्भर हो चुका है। उन्होंने बताया कि डेढ़ साल में स्वदेशीकरण से वायुसेना ने करीब 160 करोड़ रुपये बचाए हैं।

एयर मार्शल ने कहा कि 90 के दशक में ही वायुसेना ने एमएसएमई के साथ मिलकर स्वदेशीकरण का कार्यक्रम शुरू किया था। रोजमर्रा में सर्विसिंग में इस्तेमाल होने वाले एआरएस कलपुर्जों के लिए हम 95 से 97 फीसदी आत्मनिर्भर हो चुके हैं। पूरी तरह से उनका स्वदेशीकरण हो चुका है। रॉ मैटेरियल भी भारत में ही तैयार किया जा रहा है। अब इन कलपुर्जों के लिए वायुसेना किसी भी अन्य देश पर निर्भर नहीं है। 

उन्होंने बताया कि जनवरी 2022 से जून 2023 तक वायुसेना ने खुद 3,000 लाइनें विकसित कीं। इन 3,000 लाइनों के लिए सेना ने करीब 160 करोड़ रुपये बचाए हैं। यह पहली बार की खरीदारी की बचत है। बार-बार खरीदारी करने से अधिक बचत होगी। एयर मार्शल ने कहा कि यह बड़ी बात है कि मिग-29 का अपग्रेडेशन प्रोग्राम रूस की तरफ से पूरी आपूर्ति के बिना पूरा कर लिया गया है।

2024 से शुरू हो जाएगी तेजस की डिलीवरी

हाल में 97 अतिरिक्त तेजस विमान के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ हुए समझौते को लेकर एयर मार्शल ने कहा कि तेजस एक बहुत अच्छा जहाज है। 2024 से इसकी डिलीवरी शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वायुसेना एचएएल के साथ संपर्क में है क्योंकि सेना को ज्यादा से ज्यादा जहाजों की जरूरत है। कोशिश कर रहे हैं कि जितना जल्दी हो सके एचएएल सारे तेजस का निर्माण करके सौंप दे ताकि वायुसेना की संचालन क्षमता को बढ़ाया जा सके।

रूस-यूक्रेन युद्ध का मिग-29 पर कोई असर नहीं

एयर मार्शल ने कहा कि सुखोई 30 के लिए वायुसेना की निर्भरता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड पर है। मिग-29 के लिए हमने काफी स्वदेशीकरण किया है। पूरी तरह से उस फ्लीट को सपोर्ट किया गया है। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन के युद्ध का मिग-29 पर कोई असर नहीं पड़ा है। सु-30 के फ्लीट पर भी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से अभी तक कोई असर नहीं पड़ा है लेकिन अगर युद्ध लंबा चलता है और रूस से सपोर्ट मिलना बंद हो जाता है तो इसका असर पड़ सकता है। हालांकि स्टॉकिंग पॉलिसी और स्वदेशीकरण की वजह से हमने फ्लीट को अच्छे से सपोर्ट किया है।

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