भारत और श्रीलंका के बीच चेन्नई से जाफना की हवाई सेवा फिर शुरू

कोरोना वायरस के चलते लंबे ब्रेक के बाद, आज (12 दिसंबर) फिर से चेन्नई और जाफना (Sri lanka) के बीच उड़ानें शुरू हो जाएंगी. एयर इंडिया की सहायक कंपनी एलायंस एयर ने घोषणा की है कि वह हफ्ते में चार बार फ्लाइट सेवा को संचालित करेगी. बता दें कि चार दशक से अधिक समय बाद, पहली बार नवंबर 2019 में हवाई लिंक पुनर्जीवित हुआ था लेकिन मार्च में कोविड के आने के बाद इसे फिर से बंद कर दिया गया था.

कोरोना महामारी से निपटने के बाद, जब सब उड़ानों को फिर से शुरू किया गया तो कोलंबो (Colombo) में श्रीलंका का प्राथमिक हवाई अड्डा तो खुला लेकिन जाफना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बंद रहा. भारत ने श्रीलंका के तमिल उत्तर से तमिलनाडु के बीच इस लिंक को फिर से शुरू करने पर काफी जोर भी दिया था लेकिन दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर इसी साल बैठक हो सकी.

हवाई सेवा शुरू होने से श्रीलंका को फायदा

उल्लेखनीय है कि श्रीलंका इस समय एक बुरी अर्थव्यवस्था का अनुभव कर रहा है. ऐसे में हवाई संपर्क उत्तरी प्रांत में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है. 2009 में सशस्त्र संघर्ष की समाप्ति के एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद इस क्षेत्र की बहाली धीमी रही है.

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, व्यापार के अवसर बढ़ेंगे

कनेक्टिविटी से दक्षिण भारत से श्रीलंका के तमिल उत्तर में तीर्थ पर्यटन सहित अन्य पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इससे संकटग्रस्त श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था में मूल्यवान विदेशी मुद्रा आएगी. यह जाफना और उत्तरी प्रांत के अन्य हिस्सों (जाफना, मन्नार, किलिनोच्ची, मुल्लईतिवु और वावुनिया के पांच जिलों को मिलाकर) में निवेश आकर्षित कर सकता है और दोनों पक्षों के बीच व्यापार के अवसरों को दोबारा से खोल सकता है.

2009 में ही शुरू हो सकती थी फ्लाइट सर्विस

वहीं, दुनिया के अन्य हिस्सों में रहने वाले होमबाउंड श्रीलंकाई तमिल डायस्पोरा को भी चेन्नई से जाफना तक सीधी छोटी दूरी की उड़ान मिल सकती है. बता दें कि भारत ने 2009 में युद्ध की समाप्ति के तुरंत बाद, जाफना और चेन्नई के बीच हवाई संपर्क खोलने का प्रस्ताव दिया था लेकिन श्रीलंका उस समय भी LTTE पर अपनी जीत का जश्न मना रहा था और उसने भारत के प्रस्ताव पर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई थी.

हालांकि, 10 साल बाद, 2019 में, श्रीलंका ने आखिरकार सहमति दे दी. इसके बाद, हवाई अड्डे का पुनर्विकास किया गया और जाफना अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदल दिया गया, जिसमें भारत ने पुनर्विकास में वित्तीय योगदान दिया. 

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