ताइवान पर बाइडन के बयान से भड़का चीन

ताइवान पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बयान को लेकर चीन फिर भड़क उठा है। चीन ने सोमवार को कहा कि वह ताइवान के शांतिपूर्ण विलय के लिए पूरी ईमानदारी के साथ कोशिश करेगा और देश को विभाजित करने की किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा। चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की इस टिप्पणी पर नाराजगी जताते हुए प्रतिक्रिया दी कि अगर बीजिंग आक्रमण करने की कोशिश करता है तो अमेरिकी सेना ताइवान की रक्षा करेगी। सीबीएस न्यूज के 60 मिनट के कार्यक्रम पर रविवार को प्रसारित एक साक्षात्कार के दौरान बाइडन से पूछा गया कि क्या अमेरिकी सेना, अमेरिकी पुरुष और महिलाएं, चीनी आक्रमण की स्थिति में ताइवान की रक्षा करेंगे। इस पर उन्होंने तुरंत जवाब दिया कि ताइवान पर अमेरिकी नीति नहीं बदली है।

इस साल दूसरी बार बाइडन ने ताइवान के पक्ष में दिया बयान 
इस साल मई के बाद से यह दूसरी बार है जब बाइडन ने ताइवान की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अमेरिका के सैन्य हस्तक्षेप के सवालों का सकारात्मक जवाब दिया है, जिससे बीजिंग की चिंता में इजाफा हो गया है। मई में जापान का दौरा करते हुए बाइडन ने कहा था कि अमेरिका जापान और अन्य देशों के साथ खड़ा होगा और चीन को ताइवान पर जबरन कब्जा नहीं करने दिया जाएगा। टोक्यो में एक संवाददाता सम्मेलन में यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका ताइवान की रक्षा के लिए सैन्य रूप से शामिल होने को तैयार है, बाइडन ने इसका जवाब हां में दिया था। 

सीबीएस न्यूज के साथ बाइडन के साक्षात्कार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने सोमवार को कहा कि अमेरिकी नेता की टिप्पणी ने ‘एक चीन’ नीति और ताइवान से संबंधित तीन संयुक्त विज्ञप्तियों का गंभीर उल्लंघन किया है। माओ ने कहा कि बाइडन की टिप्पणी ने ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करने की अमेरिकी प्रतिबद्धता को गंभीर रूप से भंग कर दिया और ताइवान की स्वतंत्रता बलों को एक गलत संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि चीन इसकी निंदा करता है और इसका कड़ा विरोध करता है और हमने अमेरिका को कई बार इसके बारे में बताया है। माओ ने कहा कि ताइवान चीन का हिस्सा है और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) सरकार पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र सरकार है। उन्होंने कहा कि मातृभूमि के पूर्ण एकीकरण को प्राप्त करना सभी चीनी लोगों की साझा आकांक्षा और पवित्र कर्तव्य है।

आतंकी मीर को ब्लैकलिस्ट होने से चीन ने रोका 
वहीं, चीन ने भारत के सबसे वांछित पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों में से एक साजिद मीर को काली सूची में डालने के संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका-भारत के प्रस्ताव को रोकने के अपने कदम का बचाव करते हुए कहा कि उसकी कार्रवाई यूएनएससी की आतंकवाद विरोधी समिति के प्रासंगिक नियमों के अनुरूप है। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादियों द्वारा किए गए 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में उनकी भूमिका के लिए अमेरिका द्वारा मीर के सिर पर 50 लाख अमरीकी डालर का इनाम रखा गया है।

यह पता चला है कि बीजिंग ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 1267 अल-कायदा प्रतिबंध समिति के तहत मीर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में ब्लैकलिस्ट करने के लिए अमेरिका द्वारा पेश किए गए और भारत द्वारा सह-नामित किए गए प्रस्ताव पर गुरुवार को रोक लगा दी। इस प्रस्ताव में मीर की संपत्ति फ्रीज करने और उस पर यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध लगाया जाना था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति के पास आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों और संबंधित प्रक्रियाओं के बारे में स्पष्ट दिशानिर्देश हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि बीजिंग ने मीर को ब्लैकलिस्ट करने के कदम को क्यों रोक दिया।

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