दलाई लामा के भविष्य पर चर्चा के लिए उनके साथ वार्ता को तैयार है चीन : मंत्रालय

बीजिंग। चीन ने बुधवार को कहा कि वह तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के ‘‘भविष्य’’ पर वार्ता करने के लिए तैयार है, लेकिन तिब्बत से जुड़े किसी मुद्दे पर नहीं। तोक्यो से प्राप्त खबरों में कहा गया है कि दलाई लामा ने तोक्यो फॉरेन कॉर्सपोंडेंटे्स क्लब की मेजबानी वाले ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बुधवार को कहा , ‘‘मैं यहां भारत में शांतिपूर्वक रहना चाहूंगा। ’’ उन्होंने धार्मिक सौहार्द्र के एक केंद्र के रूप में भारत की सराहना करते हुए यह बात कही । तिब्बती बौद्ध आध्यात्मिक नेता ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मिलने की उनकी कोई खास योजना नहीं है लेकिन उन्होंने पुराने मित्रों से मिलने के लिए तिब्बत की यात्रा करने की अपनी इच्छा प्रकट की। 86 वर्षीय दलाई लामा ने कहा, ‘‘चीनी कम्युनिस्ट नेता संस्कृतियों की विविधताओं को नहीं समझते हैं। असल में अत्यधिक नियंत्रण लोगों को नुकसान पहुंचाएगा।’’ तिब्बत पर चीन के कब्जा करने के बाद वह 1959 में वहां से पलायन कर गये थे और तब से भारत में निर्वासन में रह रहे हैं। दलाई लामा की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए कहे जाने और यह पूछे जाने पर कि क्या बीजिंग उन्हें चीन या तिब्बत की यात्रा करने की अनुमति देगा, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबीन ने यहां प्रेस वार्ता में कहा कि बीजिंग तिब्बती आध्यात्मिक नेता के साथ वार्ता के लिए तैयार है। वांग ने कहा, ‘‘चीन में केंद्रीय सरकार, 14 वें दलाई लामा के साथ मुद्दों पर बातचीत व चर्चा करने पर अपना रुख पूर्ववत और स्पष्ट रखे हुए हैं। वार्ता के दरवाजे खुले हुए हैं। मैं कहना चाहूंगा कि सिर्फ दलाई लामा के भविष्य के विषय पर चर्चा हो सकती है और उसमें तिब्बत का विषय नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दलाई लामा को यह कार्य करना है कि उन्हें अलगाववादी गतिविधियों को रोकना है और केंद्रीय सरकार व चीनी लोगों का विश्वास जीतने के लिए ठोस उपाय करने हैं।’’ उन्होंने निर्वासित तिब्बती सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘यह एक बाहरी अलगाववादी राजनीतिक समूह है। यह चीन के संविधान और कानून के खिलाफ है, यह एक अवैध संगठन है। दुनिया का कोई भी देश इसे मान्यता नहीं दे रहा। ’’ उल्लेखनीय है कि मई में जारी एक आधिकारिक श्वेत पत्र में कहा गया था कि दलाई लामा के किसी भी उत्तराधिकारी को चीन सरकार की मंजूरी होनी चाहिए। इस बीच, चीन ने तिब्बत में अपना नियंत्रण बढ़ा दिया। पिछले महीने, चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने वांग जुनझेंग को तिब्बत में पार्टी की इकाई का प्रमुख नियुक्त किया था जबकि उन पर अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और कनाडा ने शिंजियांग में उयगुर मुस्लिमों के खिलाफ मानवाधिकार हनन में कथित भूमिका को लेकर प्रतिबंध लगा रखा है।

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