छत्तीसगढ़ में नगर निगम में सफाई घोटाला होगी जांच

रायपुर नगर निगम के 70 वार्डों में करीब 29 सौ सफाई कामगार काम करते है लेकिन वार्डों में इनमें से केवल 25 से 30 फीसद सफाई कामगार ही रोज वार्ड में सफाई कार्य करने जाते है, जबकि ठेकेदार शत-प्रतिशत कामगारों की रजिस्टर में बकायदा हाजिरी चढ़ाकर निगम से हर महीने लाखों रुपये बिल का भुगतान प्राप्त कर लेते थे। चौंकाने वाली बात यह है कि बिना जांच-पड़ताल किए जिम्मेदार अधिकारी भी बिल पास कर देते थे। अब लाखों का सफाई घोटाला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया है।

विभाग के अध्यक्ष नागभूषण राव के साथ विभागीय अधिकारी पूरे घोटाले की जांच में जुट गए है।जांच में दोषी पाए गए ठेकेदार को काली सूची में डालने के साथ उनसे पैसे की वसूली करने की तैयारी कर रहे हैं। रायपुर नगर निगम के वार्डो में साफ-सफाई के काम में लगे निगम के सफाई कामगारों के वार्डों से गायब रहने की पड़ताल पिछले महीने से चल रही है।

स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष नागभूषण राव यादव खुद ही स्वास्थ्य अधिकारी विजय पांडेय, सहायक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तृप्ति पाणिग्रही के साथ वार्डों का औचक निरीक्षण कर सफाई कामगारों की उपस्थिति की जांच कर रहे है।गायब सफाई कामगारों को चेतावनी देने के साथ ठेकेदार पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है।आने वाले दिनों में जोन स्तर पर सफाई व्यवस्था की समीक्षा करने के साथ ही वार्ड पार्षदों से ठेका कंपनी के कचरा कलेक्शन की पूरी रिपोर्ट ली जाएगी।

निगम के अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने 900 सफाई कामगारों की मंजूरी दी है। शहर के सभी 70 वार्डों की साफ-सफाई कराने के लिए निगम के पास प्लेसमेंट के 32 सौ कर्मचारी हैं। इनमें 29 सौ कर्मचारी ही वार्डों में तैनात हैं। हर वार्ड को औसतन करीब 40 कर्मचारी आवंटित किए गए हैं, जबकि बड़े वार्डों में 50 कर्मचारी दिए गए है। पिछले दिनों कुछ घंटे की मूसलाधार बारिश से पूरा शहर जलमग्न होने पर निगम की व्यवस्था की पोल खुली तब स्वास्थ्य अमला जागा और वार्डों की सफाई व्यवस्था की जांच शुरू की। जांच के दौरान ही सफाई घोटाला सामने आया।

34 फीसद सफाई कामगार गायब

आठ वार्डों में जांच करने पर औसत 350 कर्मचारियों की रजिस्टर में हाजिरी दिखाया गया था लेकिन मौके पर 117 कर्मचारी ही काम करते मिले,यानि 34 फीसदी सफाईकर्मी गायब थे। वार्ड क्रमांक सात में 50 में से 24 सफाई कर्मचारी, वार्ड क्रमांक नौ में 40 में से 24,वार्ड क्रमांक आठ में 36 में से 25 सफाई कर्मचारी,बीएसयूपी कचना में 15 में से 12 सफाई कर्मचारी ही उपस्थित मिले थे। 70 वार्डों में 29 सौ सफाई कर्मियों की तैनाती और जांच में करीब एक हजार कर्मचारियों के रोज गायब होने का मामला सामने आने से निगम प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।

लंबे समय से चल रहा खेल

नईदुनिया ने पड़ताल की तो पाया गया कि अब तक पूर्व हाजिरी रजिस्टर में दर्ज सफाई कामगारों की उपस्थिति के आधार पर ही लाखों रुपये के बिलों का भुगतान ठेकेदारों को किया जाता रहा है।इस तरह से निगम में पिछले कई महीने से सफाई घोटाले का खेल चलता आ रहा है।सूत्रों का कहना है कि वार्डों में जांच नहीं होता तो यह घोटाला उजागर नहीं होता।

हर महीने चार करोड़ का भुगतान, पहुंच के दम पर मिलते है ठेके

निगम के सफाई कर्मियों के साथ ठेकेदारों को हर महीने चार करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है। दरअसल ज्यादातर सफाई ठेकेदार के संबंध जनप्रतिनिधियों, पार्षदों और अधिकारियों से है। राजनीतिक पहुंच के आधार पर ही सफाई के ठेके मिले हुए हैं। लिहाजा उन पर केवल जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है। लेकिन अब ऐसे ठेकेदारों को काली सूची में डालने के साथ उनसे पैसे की वसूली भी की जाएगी।

वर्जन-

शहर की साफ-सफाई व्यवस्था से किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। जांच में जिन वार्डों में कर्मचारी कम मिल रहे हैं, उनके ठेकेदारों पर जुर्माने के साथ कड़ी चेतावनी दी जा रही है। दोबारा गड़बड़ी मिलने पर ठेका निरस्त करने के साथ ही उनके नाम काली सूची में डाला जाएगा।

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