सीएम खट्टर ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग, किसानों के मुद्दे पर कोई फैसला संभव

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. किसान बीजेपी नेताओं का लगातार विरोध कर रहे हैं, जिसकी वजह से बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी चिंतित है।

करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज और विपक्ष के भारी विरोध के बाद अब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Mohar Lal Khattar) ने अधिकारियों और मंत्रियों की आपात बैठक बुलाई है. किसान आंदोलन पर कुछ अहम फैसला सरकार ले सकती है।

केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों लगातार किसानों और विपक्ष के निशाने पर हैं. शनिवार को जब करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यक्रम के खिलाफ किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया, तब पुलिस ने उनपर लाठी चार्ज कर दिया. लाठी चार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा ने कहा था कि अगर कोई सुरक्षा तोड़े तो उसका लाठी से सिर फोड़ देना. आयुष सिन्हा का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

एसडीएम आयुष सिन्हा के इस बयान की लगातार आलोचना हो रही है, वहीं विपक्ष और किसान बीजेपी सरकार के खिलाफ आक्रोश जता रहे हैं. यह आक्रोश इतना बढ़ गया है कि विपक्षी नेताओं ने एक स्वर से सरकार की आलोचना की है, वहीं पूरे प्रशासनिक रवैये को तानाशाहपूर्ण रवैया कहा है. ऐसे में खट्टर सरकार की मुश्किलें कम होती नजर आ रही हैं. यही वजह है कि सीएम मनोहर लाल खट्टर को आपातकालीन बैठक बुलानी पड़ी है।

लाठीचार्ज में हुई एक किसान की मौत!

वहीं अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा ने दावा किया है कि करनाल में शनिवार को हुए लाठीचार्ज के बाद एक किसान की मौत हो गई है. किसान का नाम सुशील काजल है. किसानों ने पुलिस पर हत्या करने का आरोप लगाया है. मजदूर सभा ने रामपुर जटा गांव के किसान की मौत पर पुलिस के रवैये पर सवाल उठाया है. अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने सरकार से मांग की है कि लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम और अधिकारियों पर हत्या के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए।

करनाल हिंसा की हो न्यायिक जांच

कांग्रेस करनाल में हुए लाठी चार्ज को लेकर खट्टर सरकार को घेर रही है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर पार्टी के दूसरे दिग्गज नेता भी घटना पर आक्रोश जाहिर कर चुके हैं. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रविवार को करनाल लाठीचार्ज की घटना पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि करनाल में किसानों के खिलाफ हुई हिंसा निंदनीय है. इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए।

किसानों पर लाठीचार्ज गलत!

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ‘करनाल में किसानों पर जो कार्रवाई हुई है, मैं उसकी निंदा करता हूं. अमानवीय तरीके से किसानों पर लाठीचार्ज किया गया है. लोकतंत्र में लाठी से समाधान नही निकलता है. शनिवार की कल की घटना की ज्यूडिशियल जांच करवाई जाए. एक अधिकारी किस तरह से आदेश दे रहें है इस मामले की जांच होनी चाहिए.’

लोगों का विश्वास खो रही है सरकार: कांग्रेस

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कोई और कैसे पुलिस को आदेश दे सकता है. ईपीएस, डीएसपी पुलिस को आदेश देता है. यह सरकार जन विरोधी है, सरकार लोगों का विश्वास खो चुका है. लोकतांत्रिक अधिकारों की दुहाई देते हुए उन्होंने कहा कि विरोध और प्रदर्शन करना लोकतंत्र में लोगों का अधिकार है. किसान आंदोलन में सरकार का कोई स्टैंड ही नहीं।

लोकतंत्र में नहीं चलता है लठतंत्र’

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस भले ही किसान आंदोलन में शामिल नहीं है लेकिन किसानों की मांगों को पार्टी का पूरा समर्थन है. केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून किसानों के हित में नहीं हैं. सरकार से टकराव की स्थिति पैदा करने के बजाय किसानों की बात सुनी जाए. जनविरोधी और किसान विरोधी कानून, जमीन अधिग्रहण भी मॉनसून सत्र में हरियाणा सरकार लेकर आई है. लोकतंत्र को लठतंत्र में केंद्र सरकार बदलना चाहती है लेकिन लोकतंत्र में लठतंत्र नहीं चलता है।

’25 सितंबर को फिर होगा भारत बंद’

किसान आंदोलन को लेकर सरकार अब घिरती नजर आ रही है. संयुक्त किसान मोर्चा ने भी करनाल हिंसा के बाद भारत बंद का ऐलान कर दिया है. किसानों ने साफ कर दिया है कि किसी भी तरह की हिंसकर नीतियों को वे नहीं मानेंगे. किसानों ने यह भी कहा है कि अगर किसान फौज भी लगाएगी तो नहीं रोक पाएगी।

कैसे तैयार होगी भारत बंद की रणनीति

संयुक्त किसान मोर्चा हर गांव और हर तहसील में अलग-अलग इकाइयों का गठन करेगा. किसानों को संगठन के स्तर पर मजबूत किया जाएगा और लोगों से बड़ी संख्या में शामिल होने का आग्रह किया जाएगा. किसान मोर्चा के ऐलान के मुताबिक 25 सितंबर को आंदोलन के 10 महीने पूरे हो रहे हैं. ऐसे में भारत बंद किया जाएगा।

क्या है आंदोलनरत किसानों की मांग?

केंद्र सरकार के तीनों कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों में आक्रोश है. किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार इस कानून को वापस ले क्योंकि ये कानून पूंजीपतियों के हित में हैं और किसानों के खिलाफ हैं. वहीं केंद्र सरकार ने साफ किया है कि वे इस कानून से फिलहाल पीछे नहीं हट रहे हैं. वहीं हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार के तीनों कानूनों के खिलाफ भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here