छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव प्रदेश के डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बुधवार देर शाम इसकी घोषणा की है। इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं के साथ बैठक के बाद टीएस सिंहदेव ने मीडिया से चर्चा में कहा था कि प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने का अभी कोई सवाल नहीं है। टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाए जाने पर सीएम भूपेश बघेल ने उन्हेंं बधाई दी है।
टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ का उपमुख्यमंत्री बनाए जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि हैं तैयार हम. महाराज साहब को उपमुख्यमंत्री के रूप में दायित्व के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रदेश में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2018 में हुए विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस ने विधानसभा की 90 में से 68 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं 15 साल तक सत्ता में काबिज रही बीजेपी 15 सीटों पर ही सिमट गई थी। जीत के बाद कांग्रेस ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया था। सीएम बघेल के कुर्सी पर काबिज होते ही कई बार भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच अनबन की खबरें आती रहीं। ऐसे में चुनाव से पहले टीएस सिंह देव को डिप्टी सीएम बनाकर कांग्रेस ने बड़ा दांव चल दिया है।
सिंहदेव की सियासत का सफर
टीएस सिंहदेव ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत भले ही नगर पालिका अध्यक्ष पद से की हो, लेकिन सरगुजा राजपरिवार से होने के नाते उनकी राजनैतिक हैसियत इससे कहीं अधिक रही। टीएस सिंहदेव के पिता एमएस सिंहदेव मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव और बाद में योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। उनकी मां देवेंद्र कुमारी सिंहदेव मध्यप्रदेश में दो बार मंत्री रहीं। तब कहा जाता था कि सरगुजा के लिए मुख्यमंत्री राजपरिवार ही है।
छत्तीसगढ़ गठन के बाद जोगी की सरकार बनी तो सरगुजा राजपरिवार हासिये पर चला गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने उपेक्षा के बीच चुनाव के कुछ माह पूर्व टीएस सिंहदेव को वित्त आयोग का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अंबिकापुर सीट सामान्य हुई तो टीएस सिंहदेव ने अपना पहला चुनाव 980 मतों के मामूली अंतर से जीता। दूसरे चुनाव में जीत का अंतर 19400 एवं तीसरे चुनाव में करीब 40 हजार तक पहुंच गया। वर्ष 2013 से 2018 तक वे नेता प्रतिपक्ष रहे, जो टीएस सिंहदेव के लिहाज से बेहतर कार्यकाल कहा जा सकता है। भूपेश सरकार में शुरुआती कुछ माह बाद टीएस सिंहदेव अपनी ही सरकार में इस कदर उपेक्षा के शिकार हुए कि उन्हें कई बार सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा कि इस सरकार में हमारी चल ही नहीं रही है।