हरियाणा में कांग्रेस का ऑपरेशन पंजा! क्या सैनी बचा पाएंगे सरकार?

लोकसभा चुनाव को लेकर पूरे देश की सियासत में उबाल आया हुआ है. बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में फिर से सत्ता में वापसी का दावा कर रही है, तो कांग्रेस इंडिया गठबंधन की सरकार बनने का दावा कर रही है, लेकिन सियासी घमासान के बीच हरियाणा की सियासत गरमाई हुई है. हरियाणा में कुछ दिन पहले बीजेपी सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है. इस उथल-पुथल में सत्तारूढ़ भाजपा कमजोर नजर आ रही है और ऐसा लग रहा है कि सैनी की सरकार डोल रही है. चूंकि कांग्रेस को भाजपा सरकार को गिराने का मौका मिल रहा है, इसलिए ‘ऑपरेशन पंजा’ को एक्टिव कर दिया है और सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है.

विपक्ष के नेता और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के सचिव शादी लाल कपूर ने गुरुवार को हरियाणा के राज्यपाल को पत्र लिखकर शुक्रवार को मुलाकात करने की मांग की. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस फ्लोर टेस्ट की मांग कर सकती है, क्योंकि उसका मानना है कि बीजेपी सरकार अब अल्पमत में है.

क्यों डोल रही है बीजेपी की सरकार?

तीन निर्दलीय विधायकों-चरखी दादरी से सोमवीर सांगवान, पुंडरी से रणधीर सिंह गोलन और नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर-ने मंगलवार को रोहतक में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने के अपने फैसले की घोषणा की थी. इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा और हरियाणा पीसीसी प्रमुख उदय भान भी मौजूद थे.

विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने तीन निर्दलीय विधायकों की समर्थन वापसी के बाद भाजपा सरकार पर हमला करने का मौका नहीं छोड़ा. उन्होंने ऐलान कर दिया कि हरियाणा में स्थिति भाजपा के खिलाफ है और बदलाव निश्चित है. भाजपा सरकार ने बहुमत खो दिया है. भूपिंदर सिंह हुड्डा ने 48 विधायकों की सूची भी लोगों के सामने रखी. इनमें उनमें कुछ ने इस्तीफा दे दिया है, तो कुछ लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में निर्दल विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है. ऐसे में कांग्रेस नेता का दावा है कि अब बीजेपी सरकार बहुमत खो चुकी है और यह सरकार अल्पमत में है. ऐसे में इसे अब सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है.

जेजेपी ने बढ़ाई बीजेपी की मुश्किलें

दूसरी ओर, बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाते हुए उसकी पूर्व सहयोगी जेजेपी ने कहा है कि वह बीजेपी के खिलाफ वोट करेगी. हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने भी गुरुवार को राज्यपाल को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट की मांग की है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार के पास बहुमत नहीं है तो राज्य में तुरंत राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है, तो उनकी पार्टी प्रस्ताव का समर्थन करेगी और कहा कि अब यह कांग्रेस पर निर्भर है कि वह फ्लोर टेस्ट की मांग करे.

कथित तौर पर, भाजपा के पूर्व सहयोगी दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने पिछली बार मतदान में अनुपस्थित रहकर भाजपा को फ्लोर टेस्ट पास करने में मदद की थी, लेकिन अब पार्टी को विभाजन का सामना करना पड़ सकता है और इसके लिए जेजेपी बीजेपी को दोषी मानती हैं. जेजेपी का मानना है कि बीजेपी ने उसकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश की है. जेजेपी के दो विधायकों-रामनिवास सुरजाखेड़ा और जोगी राम सिहाग-ने हाल ही में लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों के लिए अपने समर्थन की घोषणा की थी और चौटाला को ललकारा था, लेकिन बीजेपी की उम्मीदें जेजेपी के असंतुष्ट विधायकों पर टिकी है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि असंतुष्ट विधायकों के समर्थन से बीजेपी अपनी कुर्सी बचा पाएगी.

इसी तरह से इनेलो के अभय सिंह चौटाला ने भी गुरुवार को राज्यपाल को पत्र लिखा और दावा किया है कि भाजपा सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है. उन्होंने मांग तुरंत विधानसभा बुलाने और शक्ति परीक्षण की मांग की है.

दो महीने पहले ही सैनी की हुई थी ताजपोशी

उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार ने दो महीने पहले फ्लोर टेस्ट पास किया था और कई लोगों का मानना है कि छह महीने के भीतर दूसरा फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता. हालांकि, यह निर्णय लेना राज्यपाल पर निर्भर है.

बता दें कि सैनी दो महीने से भी कम समय पहले मनोहर लाल खट्टर की जगह सीएम बने थे और जब उन्हें अपनी कुर्सी डोलती दिख रही है तो उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब कुछ लोगों की इच्छाओं को पूरा करने में लगी है और उन्हें पूरा विश्वास है कि तीन निर्दल विधायकों की समर्थन वापसी के बाद भी उनकी सरकार पर कोई इसका असर नहीं पड़ेगा. उनकी सरकार के पास पूरा बहुमत है.

अब कांग्रेस की क्या होगी रणनीति?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तीन निर्दल विधायकों की समर्थन वापसी के बाद कांग्रेस को विधायकों की संख्या के साथ समर्थन पत्र पेश करना होगा और राज्यपाल को यह आश्वास्त करना होगा कि वर्तमान सरकार ने अपना बहुमत खो दिया है. ऐसे में विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराई जाए. वैसे यह पूरी तरह से राज्यपाल पर निर्भर करता है कि वह कांग्रेस के दावे को कितना स्वीकार करते हैं और कांग्रेस को मौका देते हैं या नहीं. यदि राज्यपाल सहमत हो जाते हैं, तो फिर विधानसभा में शक्ति परीक्षण से तय होगा कि बीजेपी की सरकार के पास बहुमत है या फिर कांग्रेस अपना बहुमत साबित कर पा रही है.

किस पार्टी के पास कितने विधायक?

पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला के लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा देने के बाद 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा की प्रभावी ताकत अब 88 है. वर्तमान में भाजपा के 40, कांग्रेस के 30, जेजेपी के 10 और इनेलो और एचएलपी के एक-एक विधायक हैं. छह निर्दलीय हैं. बहुमत के लिए 45 विधायकों के समर्थन की जरूरत है. बीजेपी का दावा है कि उसके पास 45 विधायकों का समर्थन है. 40 बीजेपी के विधायक हैं. दो निर्दलीय, हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा और जेजेपी के चार विधायकों का समर्थन उसे हासिल है, जबकि विपक्षी पार्टियां कांग्रेस, जेजेपी और आईएनएलडी का दावा है कि सैनी सरकार अल्पमत में आ गई है. ऐसे में भविष्य ही यह तय करेगा कि बीजेपी सैनी की सरकार बचा पाएगी या हरियाणा में कांग्रेस का पंजा ऑपरेशन अपना गुल खिलाएगा.

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