डॉ. जगदीश गांधी का निधन: चला गया शिक्षा जगत का पुरोधा !

शिक्षा को कामयाबी की ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले और विश्व में अकेले अपने दम पर विद्यालयों की श्रृंखला स्थापित करने वाले गांधीवादी एवं विश्व एकता के लिए समर्पित डॉ. जगदीश गांधी का लखनऊ में 22 जनवरी, 2024 को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। यह शिक्षा जगत एवं सात्विक विचारों के प्रसार को बल देने वाले अभियान में एक विराम है। जगदीश गांधी जी से हमारा परिचय 1970 के दौरान लखनऊ में हुआ। वस्तुतः श्री गांधी उस समय अलीगढ़ के सिकंदराराऊ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक चुने गए थे। मुज़फ्फरनगर के युवा और ऊर्जावान विधायक मनफूल सिंह के दारुलशफ़ा स्थित कमरे के सामने जगदीश जी का कमरा था। मैं पिताश्री राजरूप सिंह वर्मा के साथ मनफूल जी के कमरे में रुका हुआ था। संभवतः रविवार का दिन था। उन्होंने पिताश्री से कहा कि आज मैं एक ऐसे शख्स से मिलवाता हूँ जो स्वयं तो कर्मठ और विचारशील है ही, उनकी पत्नी भी अत्यंत कर्मशील और बहादुर है।

श्री मनफूल सिंह पिताश्री और मुझे जगदीश गांधी के कमरे में ले गए। उन्होंने खादी का कुर्ता-पजामा पहना हुआ था। सरल व आकर्षक व्यक्तित्व था। बहुत देर तक बातें होती रहीं। उनकी पत्नी भारती गांधी ने चाय पिलाई। वे स्टेशन रोड पर सिटी मोंटेसरी स्कूल के नाम से एक विद्यालय चलाती थीं। गांधी जी ने बताया कि उन्होंने व भारती ने मिलकर 5 बच्चों से स्कूल आरम्भ किया है। तब लखनऊ में स्कूल की कोई शाखा नहीं थी लेकिन सिटी मोंटेसरी स्कूल का नाम पूरे लखनऊ में प्रसिद्ध था।

बाद में सिटी मोंटेसरी स्कूल अपने उच्च आदर्शों एवं परिश्रम के बल पर अभूतपूर्व विस्तार करता रहा। राजधानी लखनऊ में उसकी शाखायें खुलती चली गईं। सिटी मोंटेसरी स्कूल के जनसंपर्क अधिकारी हरिओम शर्मा ‘देहात’ से परिचित थे। वे विद्यालय की पत्रिका और जगदीश गांधी जी के विचारों से ओतप्रोत लेख ‘देहात’ को प्रकाशनार्थ भेजते रहते थे। इनका प्रकाशन ‘देहात’ में भी किया गया। इनके सभी लेख विश्वशांति, एकता और समाज उत्थान पर होते थे। एक बार जगदीश जी ने अपने लेख ‘देहात’ में प्रकशित करने के लिए फ़ोन पर आभार प्रकट किया था। संभवतः कुछ ही लोग जानते होंगे कि जगदीश गांधी जी के जीवन पर राजा महेंद्र प्रताप सिंह, (जिन्होंने काबुल में निर्वासित भारत सरकार बनाई थी) का बहुत प्रभाव था। राजा महेंद्र प्रताप भी विश्व की एकता और विश्वबंधुत्व के प्रमुख समर्थक थे। वे ‘संसार संघ’ नामक एक पत्रिका भी प्रकाशित करते थे। जगदीश जी ने लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय न्यायधीश सम्मेलन आयोजित करने का भी एक रिकॉर्ड बनाया। खेद हैं कि हर बार निमंत्रण मिलने के बावजूद इस सम्मलेन में सम्मलित नहीं हो पाए।

एक बार हमे गणतंत्र दिवस पर विधानसभा मार्ग पर सिटी मोंटेसरी की भव्य परेड देखने का अवसर मिला। उसकी तुलना दिल्ली की राजपथ की परेड से तो नहीं की जा सकती किन्तु समूचे उत्तर प्रदेश में कोई भी विद्यालय आज भी इतनी भव्य परेड नहीं निकाल पाया।

सिटी मोंटेसरी स्कूल की लखनऊ में 20 से अधिक शाखायें हैं। लगभग 60000 छात्र-छात्राएं इनमें पढ़ते है। गांधी जी को यूनेस्को सहित अनेक पुरस्कार मिले। उनके स्कूलों से अनेक प्रतिभावान छात्र-छात्राएं योग्य नागरिक बन कर निकले और ऊंचे पदों पर कार्यरत रहते हुए राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। ‘देहात’ जगदीश गांधी जैसे आदर्श पुरुष के निधन पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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