समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने आज केंद्र सरकार से समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के अनुरोध को लेकर दायर जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए कहा है. जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ और जस्टिस आशा मेनन की पीठ ने याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया और उसे चार हफ्ते के भीतर जवाब में हलफनामा दायर करने को कहा.

याचिकाकर्ता अभिजीत अय्यर मित्रा ने याचिका में दावा किया है कि समलैंगिक संबंधों को अपराध कैटेगरी से बाहर रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद समलैंगिक जोड़ों के बीच विवाह संभव नहीं हो पा रहा है.


समलैंगिक विवाह को सेम सेक्स मैरिज भी कहते हैं जिसमें एक जेंडर वाले दो लोग आपस में शादी करते हैं, जैसे दो लड़कियां और दो लड़के आपस में शादी करेंगे तो इसे समलैंगिक विवाह कहा जाएगा. भारत में अभी समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं मिली है. इस साल कोस्टा रिका में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल जाने के बाद अब दुनिया में 29 देशों में समलैंगिक विवाह की अनुमति है. समलैंगिक विवाह को अनुमति देने वाला पहला देश नीदरलैंड है जहां साल 2000 में इसे मान्यता दी गई थी. समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने वाले अधितकर यूरोपीय और दक्षिण अमेरिकी देश हैं.

अगर एशियाई महाद्वीप के बार में बात करें तो सिर्फ ताइवान में समलैंगिक विवाह को मंजूरी मिली है. इस देश में 2019 में कानून बनाकर समलैंगिक जोड़ों को शादी करने की इजाजत दी थी. पिछले एक दशक में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों को लेकर कई देशों ने अपने यहां कानून में बदलाव किया है. आयरलैंड में तो 2015 में हुए ऐतिहासिक मतदान में 62 फीसदी लोगों ने समलैंगिक शादियों को मान्यता देने के लिए संविधान में संशोधन के पक्ष में मतदान किया था.

दो साल पहले तक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में समलैंगिकता को अपराध माना गया था. आईपीसी की धारा 377 के मुताबिक, जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाता है तो इस अपराध के लिए उसे 10 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान रखा गया था. 6 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ऐतिहातिक फैसले में समलैंगिकता को अपराध मानने से तो इनकार कर दिया था. सर्वोच्च अदालत ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था. फैसले के अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना जाएगा.

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