आठ महीने बाद पहली बार दिल्ली-एनसीआर की हवा बेहद खराब

दिल्ली के लोगों का सामना लगभग आठ महीने बाद दमघोंटू हवा से हो रहा है। फरवरी के बाद से ही पहले तो नियमित अंतराल पर आने वाले पश्चिमी विक्षोभ, फिर लॉकडाउन और बाद में मानसून की वजह से वायु गुणवत्ता आमतौर पर ठीक रही। बीच-बीच में गुणवत्ता थोड़ी खराब हुई भी तो एक-दो दिन ही रही और खराब श्रेणी तक ही पहुंची। लेकिन, अब वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब श्रेणी में पहुंचने लगी है।

दिल्ली की हवा अब अपने सबसे खराब दौर में प्रवेश करती जा रही है। जाड़े की शुरुआत के साथ ही हवा उत्तर पश्चिमी या पश्चिमी दिशा की ओर से होने लगती है। हवा की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है, जिससे प्रदूषण देर तक हवा में ठहरता है। बारिश हुए काफी दिन बीत जाने के चलते मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और हवा में ज्यादा उड़ती है। दिल्ली की हवा अब रात के समय एकदम शांत पड़ने लगी है। इसी के चलते सुबह के समय वायु गुणवत्ता सूचकांक 303 के अंक तक पहुंच गया।

अभी सुधार की उम्मीद कम
बंगाल की खाड़ी में बने हवा के दबाव क्षेत्र के चलते उम्मीद जताई जा रही थी कि दिल्ली में भी हवा की दिशा में बदलाव आएगा और लोगों को प्रदूषण से थोड़ी राहत मिलेगी। लेकिन, दिल्ली पर इसका असर देखने को नहीं मिला है। सफर के मुताबिक, मुंबई और पुणे में तो इसके असर के चलते हवा की गुणवत्ता सुधरी है, लेकिन दिल्ली पर आमतौर पर असर नहीं हुआ है। सफर का अनुमान है कि अगले दो दिनों के बीच वायु गुणवत्ता में खास सुधार की उम्मीद नहीं है।

पराली जलाने में आई तेजी
पंजाब-हरियाणा और पाकिस्तान के सीमावर्ती हिस्सों में पराली जलाने की घटनाओं में और तेजी दर्ज की गई है। सफर के मुताबिक 12 अक्तूबर के दिन पराली जलाने की 675 घटनाएं दर्ज की गईं। इसका धुआं और दिल्ली के स्थानीय स्रोतों से पैदा हुआ प्रदूषण वातावरण पर छाया हुआ है, जिसके चलते वायु गुणवत्ता खराब हो रही है।

यह सावधानियां बरतें
प्रदूषण का अंदरूनी अंगों फेफड़ों और दिल के अलावा शरीर के बाहरी अंगों पर भी असर पड़ता है। कुछ घरेलू उपाय अपनाकर प्रदूषण से कुछ हद तक बचाव किया जा सकता है।
– जब भी घर से बाहर जाएं मास्क लगाकर जाएं।
– अधिकांश समय घर पर ही रहने की कोशिश करें
– बाहर निकलना हो तो उस समय निकलें जब प्रदूषण का स्तर कम हो।

आयुर्वेदिक उपाय
– दिल्ली के पंचकर्मा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर राजपाल पराशर के मुताबिक आयुर्वेदिक उपाय अपनाकर प्रदूषण से होने वाले रोगों से काफी हद तक बचा जा सकता है।
– प्रदूषण से बचने के लिए रोज तुलसी के पत्तों का पानी पीएं।
– रोज गर्म दूध जरूर पीएं। ऐसा करने से फेफड़ों को धूल के कणों से बचाया जा सकता है।
– फेफड़ों में जमी कफ और गंदगी बाहर निकालने के लिए शहद में काली मिर्च मिलाकर खाएं।
– प्रदूषण बढ़ने पर या सामान्य तौर पर भी खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ जरूर खाएं।
– गुड़ खून साफ करता है। यह प्रदूषण के प्रभाव को कम करता है
– अदरक का रस और सरसों का तेल नाक में डालें। यह बूंद-बूंद कर डालें।
– ज्यादा से ज्यादा पानी पीयें।

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