पंजाब कांग्रेस के कलह के चलते DGP को हटाया गया

पंजाब सरकार ने सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को राज्य का कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया है. चट्टोपाध्याय उनकी जगह लेंगे जिन्हें प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू पद से हटवाना चाहते थे. भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता की जगह ली है. चट्टोपाध्याय को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त करने का आदेश गुरुवार देर रात जारी किया गया.

चट्टोपाध्याय 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, जो संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा ‘शॉर्टलिस्ट’ किए जाने वाले तीन आईपीएस अधिकारियों के पैनल में से नियमित डीजीपी नियुक्त होने तक यह प्रभार संभालेंगे. यूपीएससी 10 अधिकारियों की पंजाब सरकार की सूची में से तीन अधिकारियों के पैनल को ‘शॉर्टलिस्ट’ करने के लिए 21 दिसंबर को दिल्ली में बैठक करेगा. चट्टोपाध्याय सतर्कता ब्यूरो के मुख्य निदेशक का पद भी संभालते रहेंगे.

विशेष जांच दल का प्रमुख नियुक्त किया था

सितंबर में चरणजीत सिंह चन्नी के पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी सहोता को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था. सहोता को चन्नी की पसंद माना जाता था.हालांकि, कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू उन्हें बदलने के लिए दबाव बनाते रहे हैं. शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन की पूर्ववर्ती सरकार ने सहोता को बेअदबी की घटनाओं के लिए गठित विशेष जांच दल का प्रमुख नियुक्त किया था.

अमरिंदर सिंह के बाद चन्नी के पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद समझा जाता है कि सिद्धू ने डीजीपी के रूप में चट्टोपाध्याय के नाम का समर्थन किया था. पिछले महीने सिद्धू के कड़े विरोध के बाद चन्नी नीत सरकार ने राज्य के महाधिवक्ता ए पी एस देओल को हटा दिया था. बाद में वरिष्ठ अधिवक्ता डी एस पटवालिया को महाधिवक्ता नियुक्त किया गया.

बादल परिवार के कारोबार की जांच कर चुके हैं चटोपाध्याय

बाद में चन्‍नी सरकार ने नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को अधिकारियों के नामों की सूची भेज दी थी. इस सूची में सहोता का नाम भी था. सिद्धू चाहते थे कि सहोता की जगह चटोपाध्याय को पुलिस विभाग की कमान सौंपी जाए. साल 2007 से 2012 के बीच बादल परिवार के वित्तीय कारोबार की जांच कर चुके हैं. चटोपाध्याय विजिलेंस विभाग के निदेशक रह चुके हैं.

पंजाब में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. बताया जाता है कि सिद्धू की मुहिम के चलते ही कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाया. सूत्र बताते हैं कि सिद्धू की नजर सीएम बनने पर है. वह समय-समय पर अपनी ताकत का इजहार कर यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि सत्ता की असली चाबी उन्हीं के पास है.

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