राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने शनिवार को कहा कि सदन में व्यवधान लोकतंत्र में विधायी संस्थानों की विश्वसनीयता और गरिमा को प्रभावित करता है। संसद भवन परिसर में पत्रकारों के लिए एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया को लोकतांत्रिक संस्थाओं की इन चुनौतियों को उजागर करने का पूरा अधिकार है, लेकिन सदस्यों की गंभीर और रचनात्मक चर्चा को भी जगह मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि विधायिका में उठाए गए सार्वजनिक महत्व के मुद्दों, संसदीय समितियों द्वारा की गई महत्वपूर्ण सिफारिशों और जनता के विश्वास और भरोसे को बनाए रखने के लिए संसद सदस्यों द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों को उजागर करना बहुत महत्वपूर्ण है। हरिवंश ने कहा कि सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन की उत्पादकता बढ़ाने और संसदीय संस्थानों में जनता के विश्वास को बहाल करने के लिए कीमती संसदीय समय के प्रभावी उपयोग की आवश्यकता पर बार-बार जोर दिया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वतंत्रता कभी भी पूर्ण नहीं होती है और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन होती है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मीडिया लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह संसद और देश के लोगों के बीच एक महत्वपूर्ण जोड़ है।