जो कोर्ट इंटरनेशनल गुनहगारों को सुनाता है सजा, क्या उसे तवज्जो देता है भारत?

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) युद्ध अपराधों को लेकर इजराइल पर शिकंजा कस रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, आईसीसी इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर सकती है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ये सवाल उठ रहा है कि क्या नेतन्याहू गिरफ्तार होंगे. इस अरेस्ट वारंट को दुनिया के कितने देश स्वीकार करेंगे. क्या भारत इसे स्वीकार करेगा.

भारत की बात करें तो वो आईसीसी के आदेशों को मानता ही नहीं है. वो इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) के आदेशों को मानता है. ये वही कोर्ट है जहां कुलभूषण जाधव का केस चल रहा था. इसमें भारत को पाकिस्तान के खिलाफ जीत मिली थी.

वहीं, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट जो भी आदेश दे भारत उसको मानेगा ही नहीं. ना सिर्फ भारत, चीन, तुर्की, पाकिस्तान और यहां तक रूस भी आईसीसी के आदेशों को नहीं मानते हैं. ये अदालत किसी के खिलाफ भी अरेस्ट वारंट जारी कर दे, भारत उसे नहीं सुनेगा. बता दें कि आईसीसी का गठन साल 2002 में हुआ था. वहीं, ICJ के आदेश को ज्यादातर देश मानते हैं. ICJ संयुक्त राष्ट्र की ही संस्था है और जो भी देश संयुक्त राष्ट्र में हैं वो ICJ के आदेश को मानते हैं.

पुतिन के खिलाफ भी जारी किया था वारंट

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट वही कोर्ट है जिसने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ भी अरेस्ट वारंट जारी किया था. जाहिर सी बात है आईसीसी ये चाहेगा कि जो भी देश उसे मानते हैं और अगर उस देश में पुतिन जाते हैं तो उनको गिरफ्तार कर लिया जाए. पुतिन के खिलाफ जब अरेस्ट वारंट जारी हुआ था तब दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स समिट भी था. पुतिन उसमें शामिल नहीं हुए थे. तब सवाल उठा था कि क्या गिरफ्तारी की डर से पुतिन दक्षिण अफ्रीका नहीं गए. जो हाल पुतिन को था संभवत: वही हाल नेतन्याहू का भी हो जाए. वह भी किसी देश का दौरा ना करें.

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का हेड ऑफिस नीदरलैंड के हेग में है. यह नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध के लिए व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का अधिकार क्षेत्र वाला पहला और एकमात्र स्थायी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय है. न्यायालय ने अपना पहला अरेस्ट वारंट 8 जुलाई 2005 को जारी किया था. कोर्ट ने अपना पहला फैसला 2012 में जारी किया, जब उसने कांगो के विद्रोही नेता थॉमस लुबांगा डायिलो को युद्ध अपराधों का दोषी पाया. लुबांगा को 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी.

नेतन्याहू के खिलाफ क्यों एक्शन होगा?

दरअसल, आईसीसी गाजा में इजराइल की कार्रवाई से नाराज है और यही वजह है कि वो नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारेंट जारी कर सकती है. पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजराइल में हमला किया था, जिसके बाद इजराइल ने पलटवार किया और गाजा में आज भी दोनों के बीच जंग जारी है. गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, गाजा में अब तक 34,488 फिलिस्तीनी मारे गए हैं और 77,643 घायल हुए हैं.

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