जम्मू कश्मीर में शुक्रवार को मौसम बिगड़ा हुआ है। उधमपुर, पुंछ, राजोरी समेत कई जिलों में बारिश का दौर जारी है। इसके चलते नदी-नालों में जलस्तर बढ़ गया है। जम्मू शहर में शुक्रवार सुबह उमस ने लोगों को परेशान किया। इसके बाद दोपहर बाद आसमानी से बरसी बूंदों ने लोगों को राहत दी।
वहीं, उधमपुर में रात से बारिश जारी है। इसके चलते मजालता तहसील के डल नाले में पानी बढ़ गया। इसके कारण विद्यार्थियों और शिक्षकों को स्कूल पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उधर, रामनगर के क्टवाल्ट इलाके में देर रात को दीवार गिरने से महिला की मौत हो गई।
रियासी में भूस्खलन की खबर है। जिले में माहौर-चसाना-बुद्धल-राजोरी सड़क मार्ग पर पहाड़ी दरक गई। इससे मार्ग पूरी तरह से बंद हो गया है। इससे माहौर और चसाना क्षेत्र का राजोरी से संपर्क कट गया है। ऐसे में इस मार्ग से राजोरी जाने वाले लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। ये सड़क मार्ग रियासी मुख्यालय से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर है।
तवी रिवर फ्रंट का अस्थायी ढांचा बहा, सिविल वर्क को नुकसान नहीं
तवी रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के पूरा होने की डेडलाइन नवंबर में है। इसका अस्थाई ढांचे का कुछ हिस्सा बारिश के चलते आई बाढ़ के कारण बह गया है। उधर, प्रशासन का कहना है कि तवी रिवर फ्रंट के कार्य में प्रगति लाने के लिए अतिरिक्त मैनपावर लगाई जाएगी, ताकि प्रोजेक्ट को समय पर पूरा किया जा सके।
नगर नियम आयुक्त राहुल यादव का कहना है कि पिछले दिनों बारिश से जो नुकसान हुआ है। उसका असर ज्यादा से ज्यादा दस दिन का है, यानी जो नुकसान हुआ। उसको दस दिन के भीतर कवरअप किया जा सकता है। आयुक्त ने दावा किया कि तवी रिवर फ्रंट के कार्य में सिविल वर्क को कोई नुकसान नहीं हुआ है। अस्थायी ढांचा ही क्षतिग्रस्त हुआ है।
उन्होंने बताया कि कुछ मशीनरी बह गई थी। कुछ जगहों पर लगाए गए सरियों में पत्थर और सिल्ट फंस गई है। जिसे हटाने का कार्य जल्द शुरू हो जाएगा। इसका निर्माण कर रही कंपनी को निर्देश दिए जाएंगे कि काम में तेजी लाने के लिए अतिरिक्त मैनपावर लगाई जाए। अक्तूबर-नवंबर में इसका कार्य पूरा होने की डेडलाइन है।
उम्मीद है कि समय पर कार्य पूरा कर लिया जाएगा। बाढ़ की वजह से काम प्रभावित हुआ है, लेकिन इसका असर ज्यादा से ज्यादा दस दिन की देरी का है। बता दें कि तवी रिवर फ्रंट के बीच अस्थायी बांध बनाए गए थे, ताकि पानी के बहाव को मोड़ दिया जाए। लेकिन पिछले दिनों जलस्तर बढ़ने से अस्थायी बांध बह गए।