सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत गिरफ्तारी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी (ED) ऐसे मामलों में किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि ईडी अगर ऐसे मामलों में गिरफ्तारी करती है तो यह उसकी मनमानी नहीं है. कोर्ट ने पीएमएलए से जुड़े प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देनी वाली कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है.
कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे मामलों में आरोपी को ECIR (शिकायत की कॉपी) देना भी जरूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि आईसीआईआर और एफआईआर (FIR) की तुलना नहीं की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत याचिकाकर्ताओं की सेक्शन 5 सेक्शन 8(4), सेक्शन 17, सेक्शन 18(1), सेक्शन 19, सेक्शन 44, सेक्शन 45 से जुड़ी आपत्तियों को खारिज कर दिया.
ईडी को रेड, जब्ती और गिरफ्तारी का हक-कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी को सिर्फ गिरफ्तारी का कारण बताना पर्याप्त है. यानी छापेमारी, जब्त करना, गिरफ्तार, बयान दर्ज करना, ज़मानत की सख्त शर्ते इन सबको कोर्ट ने बरकरार रखा है. वहीं मनी बिल के जरिये संसोधन पर आपत्तियों को 7 जजों की बेंच को भेज दिया है.