मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा चुनाव आयोग

मध्यप्रदेश उपचुनाव में उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए चुनाव आयोग गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। दरअसल मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के तहत विधानसभा उपचुनावों में चुनाव प्रचार के लिए सीमित संख्या के साथ भौतिक राजनीतिक सभा के लिए दी गई अनुमति पर रोक लगा दी है।

मध्यप्रदेश में भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति निष्ठावान कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा उपचुनाव कराए जा रहे हैं। 

बता दें कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने राज्य में राजनीतिक दलो की भौतिक रैलियों को प्रतिबंधित कर दिया है। 

हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने अपने आदेश में राजनीतिक दलों को भौतिक सभाओं से रोक दिया है, जब तक कि उन्हें जिलाधिकारियों और चुनाव आयोग से यह प्रमाणित नहीं किया गया हो कि वर्चु्अल चुनाव अभियान संभव नहीं है।

अगर भौतिक सभा करने की इजाजत मिल भी जाती है तो, राजनीतिक दल को इसके लिए धन राशि जमा कराने की आवश्यकता होगी। यह धन राशि “सभा में अपेक्षित लोगों की संख्या की सुरक्षा और सैनेटाइजेशन के लिए जरूरी मास्क और सैनेटाइजर की दोगुनी खरीद करने के लिए पर्याप्त” होनी चाहिए।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि संबंधित उम्मीदवार सभाओं में मौजूद लोगों को मास्क और सैनेटाइजर के वितरण के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेवार होंगे।

चुनाव आयोग ने तर्क दिया है कि हाईकोर्ट का 20 अक्तूबर का आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगातार दिए गए आदेशों की अवहेलना करता है। आयोग ने कहा सर्वोच्च अदालत अपने आदेशों में यह कहता रहा है कि चुनाव आयोग चुनाव प्रक्रिया के संचालन और पर्यवेक्षण के लिए एकमात्र प्राधिकरण है और बहु-स्तरीय चुनाव प्रक्रिया में अदालतों को हस्तक्षेप करने से रोकता है। 

चुनाव आयोग ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देशों ने ‘कोविड-19 – अगस्त 2020 के आम चुनाव / उपचुनाव के लिए व्यापक दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है।’

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने पिछले हफ्ते कोरोना महामारी के बीच सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) को सुनिश्चित करने के लिए चुनावी रैलियों में 100 से अधिक लोगों को शामिल करने वाली किसी भी राजनीतिक रैली के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी थी। 

ग्वालियर पीठ के न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने अधिवक्ता आशीष प्रताप द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोरोना वायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया था। 

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