गिरो, जहां तक हो सके, गिरो !

सूचना तकनीक में कुछ बुराइयाँ हो सकती हैं किन्तु व्यक्तिगत तौर पर, समाज व देशहित में सूचना तकनीक बहुत लाभप्रद है। सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि संसद के दोनों सदनों का आखों देखा हाल देशवासी मोबाइल फ़ोन व टीवी स्क्रीन पर देख सकते हैं। गूगल ने सोशल मीडिया की सुविधा का पूर्ण विस्तार कर दिया है।

जनता द्वारा चुने हुए अथवा नेताओं द्वारा मनोनीत संसद सदस्य लोकतंत्र के मंदिर में किस प्रकार बंदरों की भांति सदन में मेजों पर चढ़कर कागज फाड़कर उछालने व लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा के सभापति का जानबूझकर अनादर करने की निर्लज्जता पर कैसे उतारू हो जाते हैं, यह लोकसभा व राज्यसभा के टीवी से प्रसारित होता रहता है।

अच्छी बात यह हैं कि जन-प्रतिनिधि कहलाने वाले इन जमूरों की हरकतें स्थायी रूप से कैद हो जाती हैं। 2014 में जब जनता ने कांग्रेस को उठाकर कूड़ेदान में डाल दिया था तब राहुल गाँधी ने ईवीएम पर दोष मढ़ते हुए कैमरे पर आकर कहा था कि वे नरेंद्र मोदी के विरुद्ध सड़कों से लेकर संसद तक संघर्ष करेंगे और धोखाधड़ी से सत्ता कब्ज़ाने वाले शख्स को काम नहीं करने देंगे। तभी से राहुल अपने इस एकसूत्री काम में लगे हुए हैं। उन्हें यह काम चाहे अपने पिछलग्गू नेताओं से कराना पड़ रहा हो या विपक्षी नेताओं को साथ लेकर करना पड़ रहा हो।

अपनी अमर्यादित व लोकतंत्र विरोधी ओछी हरकरतों के कारण संसद से निलंबित ये नेता सदन से बाहर भी बेहूदगी और बदतमीजी करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। आज ही (19 दिसंबर) संसद से बाहर निलंबित सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की हीजड़ों की भांति नक़ल उतारकर बड़े फूहड़ तरीके से लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तार-तार किया गया। मजे की बात यह है कि राहुल गाँधी सभापति के अपमान की इन निम्नकोटि की नौटंकी का वीडियो बनाने में जुटे रहे।

अंग्रेजी में कहावत हैं, ‘स्काई इज नो लिमिट’ यानी आकाश की कोई सीमा नहीं। सार्वजानिक जीवन में राहुल गाँधी किस हद तक गिरेंगे और मर्यादाओं का कैसे हनन करते हैं, इसकी भी कोई सीमा नहीं रही। राहुल गाँधी की बचकानी और मूर्खतापूर्ण हरकतें निरंतर कैमरे में कैद हो रही हैं, इन्हे कभी भी, कही भी देखने की सुविधा तकनीक ने उपलब्ध करा दी है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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