मोदी सरकार को बड़ा झटका, कृषि कानूनों के लागू होने पर SC ने लगाई रोक

कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक लगाए जाने के बावजूद किसान आज 49वें दिन अपना धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे. बता दें कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों को फिलहाल लागू होने से रोक दिया है, साथ ही किसान-सरकार के बीच बातचीत के लिए एक कमिटी भी बनाई है. किसानों का कहना है कि कानूनों को रद्द किया जाना चाहिए.

नए कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के लागू होने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया है। इसमें अशोक गुलाटी (कृषि अर्थशास्त्री), डॉ. प्रामेद कुमार जोशी (एआईकेसीसी), अनिल धनवंत (महाराष्ट्र शेतकारी संगठन) और जितेंद्र सिंह मान (बीकेयू) शामिल हैं।

केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। यही नहीं, इस मसले को सुलझाने के लिए उन्होंने कमेटी का गठन भी कर दिया गया है। बता दें कि सरकार और किसानों के बीच लंबे समय से चल रही बातचीत का हल ना निकलने पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया है।

SC ने प्रतिबंधित संगठन पर मांगा हलफनामा

अटॉर्नी जनरल की ओर से कमेटी बनाने का स्वागत किया गया। इस पर हरीश साल्वे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर सकता है कि ये किसी पक्ष के लिए जीत नहीं होगी, बल्कि कानून की प्रक्रिया के जरिए जांच का प्रयास ही होगा। चीफ जस्टिस की ओर से इस पर कहा गया कि ये निष्पक्षता की जीत हो सकती है।

देश के कोने-कोने तक अपनी पहुंच बना चुका था आंदोलन

बता दें कि दिल्ली-एनसीआर से शुरू हुआ किसान आंदोलन देश के कोने-कोने तक अपनी पहुंच बना चुका था। हर जगह नए कृषि कानूनों के विरोध में लंबे समय से किसान धरने पर बैठे हुए थे। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई भी जारी थी।

सांसद तिरुचि सीवा की ओर से जब वकील ने कानून रद्द करने की अपील की थी तो चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कहा गया है कि साउथ में कानून को समर्थन मिल रहा है, जिस पर वकील ने कहा कि दक्षिण में हर रोज इनके खिलाफ रैली हो रही है। उसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि वो कानून सस्पेंड करने को तैयार हैं, लेकिन बिना किसी लक्ष्य के नहीं।

किसानों के एक वकील ने यह भी कहा कि यह माना जा सकता है कि कमेटी इसमें मध्यस्थता करेगी, जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि कमेटी मध्यस्थता नहीं करेगी, बल्कि मुद्दों का समाधान करेगी।

किसानों के वकील बोले- कानून वापस हो

अदालत में किसानों की ओर से ML शर्मा ने कहा कि किसान कमेटी के पक्ष में नहीं हैं, हम कानूनों की वापसी ही चाहते हैं।

एमएल शर्मा की ओर से अदालत में कहा गया कि आज तक पीएम उनसे मिलने नहीं आए हैं, हमारी जमीन बेच दी जाएंगी। जिस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि जमीन बिक जाएंगी, ये कौन कह रहा है? वकील की ओर से बताया गया कि अगर हम कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट में जाएंगे और फसल क्वालिटी की पैदा नहीं हुई, तो कंपनी उनसे भरपाई मांगेगी।

चीफ जस्टिस की ओर से अदालत में कहा गया कि हमें बताया गया कि कुल 400 संगठन हैं, क्या आप सभी की ओर से हैं? हम चाहते हैं कि किसान कमेटी के पास जाएं, हम इस मुद्दे का हल चाहते हैं। हमें ग्राउंड रिपोर्ट बताइए। कोई भी हमें कमेटी बनाने से नहीं रोक सकता है। हम इन कानूनों को सस्पेंड भी कर सकते हैं। जो कमेटी बनेगी, वो हमें रिपोर्ट देगी।

हल निकालना है, तो कमेटी के सामने जाना होगा

चीफ जस्टिस की ओर से कहा गया कि अगर समस्या का हल निकालना है, तो कमेटी के सामने जाना होगा। सरकार तो कानून लागू करना चाहती है, लेकिन आपको हटाना है। ऐसे में कमेटी के सामने चीजें स्पष्ट होंगी। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान किसानों की मांग पर कहा कि पीएम को क्या करना चाहिए, वो तय नहीं कर सकते हैं। हमें लगता है कि कमेटी के जरिए रास्ता निकल सकता है।

SC के फैसले का इंतजार: किसान नेता

दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद हमारी कमेटी की बैठक होनी है। इसी बैठक में हम आगे का फैसला करेंगे और रणनीति बनाएंगे।

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