कोरोना से मरे लोगो को आर्थिक सहायता

राज्य में कोरोना से मरने वाले लोगों के आश्रितों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की प्रक्रिया शुरू तो हो गई है, लेकिन उसमें कई विसंगतियां भी सामने आ रही हैं। जिन लोगों ने कोरोना की वजह से अपनों को खोया है, उनके सामने इसका लाभ लेने के लिए सरकार ने मृत्यु प्रमाण-पत्र पेश करने की अनिवार्य शर्त रखी है। यह जरूरी भी है, ताकि गड़बड़ियां न हों। दूसरी तरफ बहुत से ऐसे लोग हैं|

प्रमाण-पत्र की अनुपलब्धता ने कई लोगों के सामने आर्थिक मदद के व्यवहारिक क्रियान्वयन में परेशानियां खड़ी कर दी हैं। ऐसे हजारों मामले हैं, जहां किसी व्यक्ति की मृत्यु अन्य रोगों के प्रकोप से हुई है, लेकिन समय से इलाज नहीं मिलने के पीछे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोरोना ही जिम्मेदार था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 29 सितंबर, 2021 तक 13,565 व्यक्ति कोरोना से जान गंवा चुके हैं, लेकिन इन आंकड़ों और वास्तविक पीड़ितों की संख्या में असमानता है।

इसके हल के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में कोविड-19 डेथ एनालिसिस कमेटी (सीडीएसी) का गठन किया गया है, जो कोरोना से हुई मौतों के लिए प्रमाण-पत्र जारी करेगी। सामान्य स्थिति में मृत्यु प्रमाण-पत्र नगर निगम में बनाए जाते हैं। कोरोना काल में भी ये प्रमाण-पत्र बने, लेकिन बहुत से प्रमाण-पत्रों में मौत का कारण कोरोना नहीं लिखा गया। जानकारी के अभाव में कई लोगों के मृत्यु प्रमाण-पत्र बने ही नहीं।

जिनके बने भी, वे मृत्यु के दूसरे कारणों के चलते अयोग्य हो गए। आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए लोगों ने मृत्यु प्रमाण-पत्र पाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। इसके लिए वे कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। इसका फायदा गलत प्रवृत्ति के लोग उठा रहे हैं। प्रमाण-पत्र देने के नाम पर उनसे ठगी की जा रही है। कई दलाल फर्जी प्रमाण-पत्र बना रहे हैं। वहीं, कुछ नकली पीड़ित बनकर सहायता का लाभ लेना चाहते हैं। यहां सरकार को चाहिए कि मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए स्पष्ट जानकारी दे।

आवश्यक दस्तावेज की सूची, प्रभारी व्यक्ति या संस्था की जानकारी सार्वजनिक स्थलों और प्रसार के साधनों से प्रचारित की जाए। समस्या के समाधान के लिए काल सेंटर की व्यवस्था की जानी चाहिए। साथ ही जो लोग लाभार्थियों के हितों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं, उनके विरुद्ध कठोर दंडात्मक प्रक्रिया का प्रावधान किया जाए।

कोरोना से मृत जिन लोगों को सम्मान पूर्वक अंतिम विदाई न मिल सकी हो, कम से कम उनके स्वजन को गरिमामय जीवन जीने के लिए सहायता तो मिलनी ही चाहिए। सरकार ऐसा कुछ करे कि यह आर्थिक सहायता सुगमतापूर्वक सुपात्रों को ही मिले। सही काम के लिए न किसी को घूस देनी पड़े और न ही अफसरों के सामने गिड़गिड़ाना पड़े।

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