चारा घोटाला: लालू प्रसाद यादव की जमानत को सीबीआई ने दी चुनौती

RJD नेता और चारा घोटाले के अपराध में दोषी करार दिए गए लालू यादव को चारा घोटाले के ही 2 मामलों में मिली जमानत को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी है, जिसमें लालू प्रसाद यादव को जमानत पर रिहा करने को हरी झंडी दी गई है.

सीबीआई की इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लालू यादव को नोटिस जारी किया है. इस मामले में 4 हफ्ते बाद सुनवाई होगी. लालू को झारखंड हाईकोर्ट ने दुमका और चाईबासा कोषागार मामले में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है, लेकिन चारा घोटाले के एक अन्य मामले में दोषी करार दिए जाने के चलते लालू फिलहाल जेल में हैं.

इस मामले में सीबीआई ने झारखंड सरकार के जरिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. ये कानूनी पेंच इसलिए है क्योंकि सीबीआई ने इस घोटाले की जांच कर लालू और अन्य आरोपियों को सजा दिलवाई है. लेकिन सजा काट रहे अपराधी झारखंड सरकार की न्यायिक हिरासत यानी जेल में हैं. इसलिए झारखंड सरकार भी इसमें पक्षकार है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी कर लालू यादव से जवाब मांगा है.

बहस के दौरान झारखंड सरकार के जरिए सीबीआई ने कहा है कि लालू को दी गई जमानत के आदेश का आधार गलत है, क्योंकि अपराधी लालू यादव ने अपेक्षित समय जेल में नहीं बिताया है. जांच एजेंसी सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि झारखंड हाईकोर्ट ने लालू प्रसाद यादव की जमानत की अर्जी मंजूर कर अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि लालू यादव पहले ही सजा का आधा हिस्सा काट चुके हैं, जबकि ये सही नहीं है.

24 घंटे के अंदर एम्स ने कर दिया था डिस्चार्ज

22 मार्च को लालू यादव की तबीयत बिगड़ने की खबर आई थी. उनका क्रिएटिनिन लेवल 4.1 से बढ़कर 4.6 हो गया था. लालू की तबीयत को देखते हुए मेडिकल बोर्ड की बैठक बुलाई गई थी. रिम्स मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों की मीटिंग के बाद उन्हें एम्स भेजने को लेकर फैसला किया गया था. लेकिन एम्स ने उन्हें 24 घंटे के अंदर ही डिस्चार्ज कर दिया था.

चारा घोटाले में सुनाई गई 5 साल की सजा

चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू यादव को डोरंडा कोषागार से करीब 139.35 करोड़ अवैध निकासी के मामले में रांची की सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार दिया था. 21 फरवरी को उन्हें पांच साल की सजा सुनाई गई थी. लेकिन उनके खराब स्वास्थ्य को देखते हुए जेल प्रशासन ने उन्हें रिम्स अस्पताल पेइंग वार्ड में भर्ती करवाया था.

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