संविधान सदन से नयी संसद तक !

19 सितम्बर : आज सिद्धि विनायक गणेश की चतुर्थी है। सनातन संस्कृति में हर शुभ कार्य उनकी स्तुति से आरम्भ करने का प्राचीन विधान हैं- वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्न कुर में देव सर्वकारेषु सर्वदा।

पुरातन भारतीय संस्कारों के अनुरूप प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र के नये मन्दिर में प्रवेश के लिए गणेश चतुर्थी का दिन चुना तो नकली सेक्यूलर वादियों को बडी झुंझलाहट हुई थी। गणेश चतुर्थी पर नये संसद‌ भवन में प्रवेश करने पर प्रधानमंत्री ने कहा- गणेश शुभता एवं सिद्धि के देवता है। वे विवेक के भी देवता हैं। हमारे भावशुद्ध होंगे तो कार्य भी शुद्ध होंगे। स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को याद करने के साथ लोकमान्य तिलक को भी याद किया जिन्होंने स्वराज्य प्राप्ति के लिए गणेश जयंती को राष्ट्र पर्व बनाया था।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर को ऐतिहासिक बनाने का आह्वान करते करते हुए अतीत की हर कड़‌वाहट को भुला कर आगे बढ़ने की कामना की। संवत्सरी पर क्षमावाणी पर्व का उल्लेख करते हुए नरेन्द्र मोदी ने भगवान् महावीर की अमरवाणी- ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ का मंत्र उच्चारा और कहा- मैं मन, वचन, कर्म से हुई गलतियों के लिए सदन से और पूरे देश से क्षमा प्रार्थी हूं। इसी के साथ नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष से अपेक्षा की कि नारी सशक्तीकरण का विधेयक सर्व सम्मति से पारित करायेंगे।

कल पुराने संसद भवन में अपने 52 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र एवं लोक सहमति पर गुरु गम्भीर विचार प्रकट किये थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि छोटे कैनवास पर बड़ा चित्र नहीं बन सकता।

और इस शुभवसर पर नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने क्या आचरण दिखाया? एक चाबी भरे जमूरे की तरह नये संसद भवन में उछलकूद शुरू कर दी, यद्यपि अध्यक्ष ओम बिरला ने बार-बार कहा कि आज तो कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने विधेयक पेश किया है, कल चर्चा के समय अपने विचार व्यक्त की जियेगा। जब गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अधीर रंजन बाबू सदन में झूठ बोल रहे हैं, तब उनकी उछल-कूद बंद हुई।

यह छटपटाहट अधीर रंजन चौधरी की नहीं है, उनकी है जो 2014 में सत्ता के सिंहासन से उठा कर कूड़ेदान में फेंके जा चुके हैं। 2024 तक उनकी बौखलाहट संसद से सड़क तक दिखती रहेगी।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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