गंगा दशहरा आज, पढ़ें गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की कथा..

पलसीकर कॉलोनी स्थित श्री दत्त माऊली सदगुरु अण्णा महाराज संस्थान में गंगा के पृथ्वी पर अवतरण दिवस गंगा दशहरा के अवसर पर गंगा पूजन किया गया। इस मौके पर गंगा के प्रतीक स्वरुप भूमि जल के स्त्रोत बोरिंग के स्थान का सभी भक्तों द्वारा सामूहिक पूजन किया गया। अण्णा महाराज के आव्हान पर विगत सात वर्षों से गंगा दशहरा के अवसर पर भूमिगत जल स्त्रोतों का पूजन प्रारम्भ किया गया है और अब जल स्त्रोतों का पूजन मध्यप्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में लोगों द्वारा किया जा कर एक परंपरा के रूप में स्थापित हो चुका है।अण्णा महाराज ने इस संबंध में बताया कि भागीरथी प्रयासों से गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ। गंगा अवतरण का उद्देश्य मनुष्य, सभ्यता, समाज और प्रकृति का विकास, सुख और समृद्धि के लिए था, लेकिन समय के साथ गंगा भी प्रदूषित हुई और जल के अन्य प्राकृतिक स्त्रोत भी समाप्त हुए या जो शेष है वे भी समाप्ति की ओर है । भावी पीढी को जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराना वर्तमान पीढी का कर्तव्य है। अत: यह समय जागृत होने का है जिस स्त्रोत से हम वर्तमान में जल प्राप्त कर रहें हैं।

गंगा दशहरा के पवित्र दिन उनका पूजन करें और उन्हें सहेज कर रखने का संकल्प लें। अपने आस-पास जीवित बोरिंग और जल के अन्य स्रोतों का इस दिन पूजन करें और यदि वहां वाटर रिचार्जिंग की व्यवस्था नहीं है तो उसे रिचार्ज करें ताकि बारिश का पानी व्यर्थ बह कर ना जाएं। जल के सभी स्त्रोतों से समाज को आध्यात्मिक और मानसिक रुप से जोडने का प्रयत्न करें । इस कड़ी मे श्रद्धा सुमन सेवा समिति द्वारा भी गंगा दशहरे के उपलक्ष्य में पंचकुईया भूतेश्वर महादेव मंदिर के आगे गंगा बगीची पर पूजन, आरती एवं प्रार्थना के आयोजन रखे गए । समिति के संस्थापक अध्यक्ष मोहनलाल सोनी, संयोजक हरि अग्रवाल एवं राजेंद्र गर्ग ने बताया कि इस मौके पर समिति द्वारा कोरोना की तीसरी संभावित लहर को रोकने की प्रार्थना भी की।

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