पंचकूला-चंडीगढ़ सीमा पर ई-टेंडरिंग के विरोध में सरपंचों द्वारा रास्ता ब्लॉक करने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सरकार ने बताया कि भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार किया गया है। इस जानकारी पर हाईकोर्ट ने कहा कि सरपंचों का धरना पहले ही समाप्त हो चुका है और ऐसे में जनहित याचिका पर आगे सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है।
पंचकूला निवासी डॉक्टर नीतू बजाज व अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करते हुए बंद रास्ते के कारण लोगों को होने वाली परेशानी का मुद्दा उठाया था। याचिका में बताया गया कि यह रास्ता चंडीगढ़-पंचकूला की लाइफ लाइन है। हजारों लोगों को पंचकूला से चंडीगढ़ व चंडीगढ़ से पंचकूला रोज आना-जाना पड़ता है। यह रास्ता ब्लॉक होने से न केवल लोगों के सामान्य जीवन पर फर्क पड़ा है बल्कि इमरजेंसी के हालात में लोगों का पीजीआई जैसे संस्थानों में जाना भी मुश्किल हो गया है।
पंचकूला से रोजाना स्कूल बसें, कर्मचारी व अन्य लोग अपने कार्य को चंडीगढ़ जाने के लिए इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं। इस मार्ग के बाधित होने से पंचकूला व चंडीगढ़ दोनों स्थानों पर जाम की स्थिति बन गई है। अब कोर्ट को बताया गया था कि धरने को हटवा दिया गया था। कोर्ट ने इस पर संतुष्टि जताई थी लेकिन कहा था कि यह तो केवल एक मार्ग है। इसके जैसे कई अन्य मार्ग मौजूद होंगे, जिनमें यह घटना दोहराई जा सकती है।
कोर्ट ने हरियाणा सरकार को ऐसी योजना सौंपने का आदेश दिया था जिससे भविष्य में इस प्रकार की घटना को दोहराकर चंडीगढ़-पंचकूला मार्ग को बाधित न किया जा सके। हाईकोर्ट को बताया गया कि पंचकूला के अतिरिक्त जिला उपायुक्त खांगवाल, चंडीगढ़ के डीसी व एसएसपी के प्रतिनिधि व पंचकूला के एसीपी सुरेंद्र सिंह यादव की कमेटी का गठन किया गया है।
इस कमेटी ने बैठक के बाद इस प्रकार के धरने व प्रदर्शन से निपटने के लिए अपने सुझाव के साथ रिपोर्ट 10 मार्च को सौंप दी थी। इसके अनुरूप अब एसओपी का ड्राफ्ट तैयार कर इसे उच्चाधिकारियों को भेजा गया है। इस जानकारी को आधार बनाकर हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया।