देश में पेट्रोल, डीजल के ऊंचे दामों की वजह से एक बार फिर जीएसटी काउंसिल की बैठक

देश में पेट्रोल, डीजल के ऊंचे दामों की वजह से एक बार फिर इस बात की उम्मीद जगने लगी है कि लखनऊ में शुक्रवार को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस पर चर्चा हो सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों की मानें तो उन्हें बिल्कुल भी नहीं लगता कि इस बारे में केंद्र और राज्य दोनों गंभीर होकर कड़ा फैसला ले सकते हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की आय का बड़ा हिस्सा यहीं से आता है। वहीं राज्यों के लिए तो जीएसटी के बाद बचे हुए चुनिंदा आय के साधनों में से यही प्रमुख है। ऐसे में इसे जीएसटी के दायरे में लाने के लिए दोनों को अपनी अपनी कमाई का मोह छोड़ना होगा। तभी ये कड़ा फैसला लिया जा सकेगा। देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई 2017 से लागू हुई थी।

जीएसटी में केंद्रीय कर मसलन उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क मसलन वैट को समाहित किया गया था लेकिन पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया। जीएसटी उपभोग आधारित कर है। ऐसे में पेट्रोलियम उत्पादों को इसके तहत लाने से उन राज्यों को अधिक फायदा होगा जहां इन उत्पादों की ज्यादा बिक्री होगी। यही वजह है कि इन पदार्थों के कम उपभोग वाले राज्य इसे जीएसटी में लागने और अधिक उपभोग वाले इसे जीएसटी से बाहर रखने की वकालत करते रहते हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

पूर्व वित्त सचिव अशोक कुमार झा ने हिन्दुस्तान को बताया है कि केंद्र सरकार इसमें उत्पाद कर लगाती है जिसे राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है। ये रकम पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास ही जाती है उसे राज्यों के साथ नहीं बांटा जाता है। वहीं जीएसटी के दायरे में आ जाने से पेट्रोल, डीजल पर ये शुल्क नहीं लग पाएगा। उनके मुताबिक शराब, पेट्रोलियम उत्पाद और कंस्ट्रक्शन पर ही राज्य टैक्स लगा सकते हैं। पेट्रोलियम पदार्थों के जीएसटी में आने से उनके खुद की आय की निर्भरता घटेगी और केंद्र के सामने खर्चों के लिए उन्हें हाथ फैलाना पड़ेगा।

पेट्रोल-डीजल से बंपर कमाई

आंकड़ों की बात की जाए तो संसद के पिछले सत्र में पूछे गए सवाल के जवाब में वित्तमंत्रालय ने बताया है कि केंद्र जनवरी 2019 से जनवरी 2021 के दौरान तीन बार केंद्रीय कर बढ़ाए गए हैं। इस साल जुलाई तक अनब्रांडेड पेट्रोल पर 32.90 रुपए और अनब्रांडेड डीजल पर 31.80 रुपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लग रहा है। साल 2015 के जुलाई महीने में पेट्रोल पर ये शुल्क 17.46 और डीजल पर 10.26 रुपए प्रति लीटर हुआ करता था। वहीं दिल्ली में इस पर 23.50 रुपए और डीजल पर 13.14 रुपए प्रति लीटर वैट वसूला जा रहा है। वैट की दरें सभी राज्यों में अलग है। केंद्र सरकार ने ये भी बताया है कि अप्रैल से जून 2021 के दौरान पेट्रोल, डीजल से 94,181 करोड़ रुपए का उत्पाद शुक्ल वसूला गया है। वहीं 2017-18 से 2020-21 के दौरान वसूले गए सकल राजस्व में पेट्रोलियम उत्पादों की भागेदारी 12 फीसदी रही है।

दरों की समीक्षा और 11 कोविड दवाओं पर कर छूट पर होगा विचार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की बैठक शुक्रवार की बैठक में चार दर्जन से अधिक वस्तुओं पर कर की दर की समीक्षा की जा सकती है और 11 कोविड दवाओं पर कर छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ाया जा सकता है। जीएसटी परिषद बैठक के दौरान जोमैटो तथा स्विगी जैसे खाद्य डिलीवरी ऐप को रेस्टोरेंट के रूप में मानने और उनके द्वारा की गई डिलीवरी पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जाएगा। बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों और केंद्र सरकार तथा राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी शामिल होंगे।

केरल  विरोध करेगा

केरल ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह पेट्रोल और डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के किसी भी कदम का पुरजोर विरोध करेगा क्योंकि इससे राज्य के राजस्व संग्रह पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।  राज्य ने कहा कि इसके बजाए केंद्र को आम लोगों को राहत देने के लिये ईंधन पर केंद्रीय करों को कम करना चाहिए।

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