गुजरात: कूरियर से पहुंचा ‘शौर्य चक्र’ तो माता-पिता ने लौटाया

गुजरात के अहमदाबाद शहर के निवासी शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया (Lance Naik Gopal Singh Bhadoriya) के माता पिता ने कूरियर के जरिए पहुंचाए गए शौर्य चक्र को लौटा दिया है। उन्होंने कहा कि शहादत के सम्मान को कूरियर से भेजकर आपने हमारे शहीद बेटे का अपमान किया है इसलिए हम इसे वापस लौटा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार परिवार वाले अब राष्ट्रपति भवन जाएंगे और सबके सामने राष्ट्रपति के द्वारा सम्मानित करने की मांग करेंगे। परिवार वालों का कहना है कि उनके बेटे ने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी और सरकार ने उसकी शहादत का ये सिला दिया है। उन्होंने कहा कि यह कोई गुप्त रखने की चीज थोड़ी है जो आप इसे चुपचाप दे रहे हैं। मेरे बेटे ने देश के लिए बलिदान दिया है इसलिए उसे देश के सामने ही सम्मान मिलना चाहिए। बता दें कि गोपाल सिंह को मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों में उनकी बहादुरी के लिए ‘विशिष्ट सेवा पदक’ से भी सम्मानित किया गया था। बता दें कि साल 2017 में जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान राष्ट्रीय राइफल्स के लांस नायक गोपाल सिंह शहीद हो गए थे।

जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, लांस नायक गोपाल सिंह की शादी 2007 में हुई थी लेकिन किसी मतभेद के चलते वे अपनी पत्नी से 2011 में अलग रह रहे थे। दोनों के व्यस्त रहने के कारण साल 2013 में अदालत ने शादी तोड़ने की याचिका भी खारिज कर दी थी। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि सैनिक के माता-पिता और उसकी पत्नी के बीच कई वर्षों तक कोई संपर्क नहीं था। वहीं भदौरिया ने पत्नी को किसी भी सेवा लाभ के अनुदान पर आपत्ति जताई थी और शहर की एक सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि जब 2017 में गोपाल सिंह शहीद हो गए तो 2018 में उन्हें शौर्य चक्र के लिए चुना गया। फिर 2018 के बाद दोनों परिवारों के बीच सुलह कराने की कोशिश की गई जो कि 2020 तक नहीं सुलझ पाया।

साल 2021 में शहीद की पूर्व पत्नी और माता-पिता के बीच करवाया गया समझौता
फिर साल 2021 में शहीद की पत्नी और माता-पिता के बीच कोर्ट के जरिए एक समझौता करवाया गया। इसके बाद अदालत ने आदेश दिया कि शहीद गोपाल सिंह को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार और माता-पिता को पुरस्कार से जुड़े सभी लाभ प्रदान किए जाएं। अदालत यह भी कहा कि पेंशन, अनुग्रह भुगतान और केंद्र या राज्य सरकार या सेना से प्राप्त होने वाली सहायता सहित अन्य सभी सेवा लाभों को दोनों पक्षों के बीच 50-50 विभाजित किया जाना चाहिए।

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