दिल्ली एनसीआर सहित कई राज्यों में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। बढ़ते खतरे को रोकने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक प्रयासों में लगी हैं। इस बीच केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी बर्लिन पहुंचे हैं। उन्होंने यहां पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए जर्मन बायोगैस एसोसिएशन के सीईओ क्लॉडियस दा कोस्टा गोमेज से मुलाकात की। दरअसल, जर्मनी पराली से बायोगैस का उत्पादन करने में दुनिया में सबसे आगे है।
पराली जलाने से लोगों को मिलेगी राहत
उन्होंने कहा, ‘पंजाब में पराली जलाने की समस्या गहरी पीड़ा का कारण है। जर्मन बायोगैस एसोसिएशन के सीईओ डॉ. क्लॉडियस दा कोस्टा गोमेज से मुलाकात की और पराली जलाने का समाधान खोजने की कोशिश की, जो पराली जलाने से लोगों को राहत देगा और पराली को लाभदायक उपयोग के लिए भी लाएगा।
पंजाब में पराली जलाने की समस्या ज्यादा
हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि पंजाब में पराली जलाने की समस्या बहुत ज्यादा है। इसलिए जर्मन बायोगैस एसोसिएशन के सीईओ डॉ. क्लॉडियस दा कोस्टा गोमेज से मुलाकात की और पराली जलाने का समाधान खोजने की कोशिश की। उन्होंने आगे कहा कि पराली का उपयोग बायोगैस उत्पादन के लिए किया जा सकता है, यह एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें जर्मनी दुनिया में सबसे आगे है।
हर साल इतनी मीट्रिक टन पराली होती है पैदा
पुरी ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों के लिए भारत की खोज को गति देगा और किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त स्रोत पैदा करेगा। उन्होंने आंकड़े बताते हुए कहा कि हर साल भारत में करीब 352 एमटी पराली पैदा होती है। इसमें से 22 फीसदी गेहूं की फसल से और 34 फीसदी चावल से पैदा होती है। इस पराली का लगभग 84 मीट्रिक टन (23.86 फीसदी) सालाना फसल कटाई के तुरंत बाद खेत में जला दिया जाता है। बायोगैस के लिए पराली का उपयोग करना एक जीत होगी।
चालू धान कटाई सीजन में…
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, चालू धान कटाई सीजन में 45 दिनों की अवधि के दौरान यानी 15 सितंबर से 29 अक्तूबर तक, हरियाणा, पंजाब, एनसीआर- यूपी, एनसीआर- राजस्थान और दिल्ली में पराली जलाने की कुल घटनाएं 2022 की इसी अवधि में 13,964 से घटकर 2023 में 6,391 और 2021 की इसी अवधि में 11,461 से घटकर 2023 में 6,391 हो गई हैं। क्रमशः 54.2 प्रतिशत और 44.3 प्रतिशत की कमी आई है।