हरियाणा: पराली जलाई तो जुर्माने के साथ होगी एफआईआर

दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण कम करने के लिए हरियाणा सरकार ने कमर कस ली है। इस बार पराली जलाने से रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने एक व्यापक कार्ययोजना तैयार की है। पराली से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने जागरूकता और सख्ती दोनों विकल्पों को रखा है। पहले किसानों को पराली प्रबंधन के लिए विकल्प दिए जाएंगे। अगर फिर भी किसानों ने पराली जलाई तो जुर्माने के साथ-साथ एफआईआर भी होगी। 

इस बार पराली जलाने वालों पर दो तरीके से निगरानी रखी जाएगी। सैटेलाइट के माध्यम से और दूसरा फील्ड में तैनात किए कर्मचारियों पर इसकी जिम्मेदारी होगी। नंबरदार, ग्राम सचिव, पटवारी समेत फील्ड में कर्मचारियों को तैनात किया गया है, जो पल पल की जानकारी सरकार को देंगे। हर जिले में इसके लिए कंट्रोल रूम बनाए गए हैं और हर गांव, ब्लाक और जिला स्तर पर कृषि अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। सभी अधिकारियों की जिम्मेदारियां भी तय की गई हैं। 

बता दें कि 13 जिलों के हॉटस्पाट 350 गांवों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। अगर कोई किसान खेत में पराली जलाता है तो सरकार के पास तुरंत उसकी जानकारी पहुंच जाएगी। इसी के आधार पर विभाग जुर्माना और एफआईआर कराएगा। पिछले साल कोरोना के चलते पराली जलाने वालों पर सख्ती नहीं बरती गई थी, जिसके चलते छह हजार से अधिक स्थानों पर पराली जलाई गई थी। उस समय प्रशासन कोरोना से बचाव के कार्यो में व्यस्त था लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। प्रदेश सरकार ने तमाम डीसी और एसपी को इस संबंध में कड़े निर्देश जारी किए हैं, ताकि हर हाल में पराली जलाने के बजाय उसका प्रबंधन हो सके।

2500 से 15 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान
दो एकड़ भूमि तक पराली या अवशेष जलाए जाने पर 2500 रुपये, दो से पांच एकड़ भूमि तक 5000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक भूमि पर 15000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। यह जुर्माना प्रति घटना के हिसाब से पराली या अवशेष जलाए जाने वाले पर लगाया जाएगा।

जागरूकता को बनाया हथियार 
कृषि विभाग की ओर से प्रदेशभर में पराली को लेकर जागरूकता अभियान चलाया रहा है। इसको लेकर स्कूल और कॉलेजों में रैलियां और सेमिनार कराए जा रहे हैं। इसके अलावा, पंचायतों और सामाजिक संगठनों को भी इस अभियान से जोड़ा जा रहा है। कृषि विभाग के निदेशक हरदीप सिंह समेत आला अधिकारी फील्ड में हैं और लगातार सेमिनारों में हिस्सा ले रहे हैं। इनमें किसानों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी रही है। ताकि पराली को जलाने के बजाय उसका प्रबंधन किया जा सके। 

मुख्य सचिव संभाल रहे कमान
पराली प्रबंधन को लेकर खुद प्रदेश के मुख्य सचिव संजीव कौशल कमान संभाले हुए हैं। मुख्य सचिव इस मुद्दे को लेकर तमाम विभागों की बैठक ले चुके हैं और लगातार फीडबैक ले रहे हैं। मुख्य सचिव के निर्देश हैं कि अधिकारी ये सुनिश्चित करें कि पराली जलाने की बजाए उसका प्रबंधन किया जाए। मुख्य सचिव की ओर से सभी डीसी समेत कृषि विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य विभागों को निगरानी के निर्देश दिए हैं।
 प्रदेश सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए व्यापक योजना तैयार की है। किसानों पर जुर्माना और एफआईआर हमारा मकसद नहीं है, हमारी कोशिश है कि किसान पराली न जलाए उसे बेचकर आय बढ़ाए या फिर उसका उचित प्रबंध करें। इसके लिए सरकार ने तमाम विकल्प दिए हैं। किसानों को जागरूक किया जा रहा है, जो नियमों का उल्लंघन करेगा, उनके खिलाफ यकीनन कार्रवाई होगी। डॉ. सुमिता मिश्रा, एसीएस, कृषि विभाग।

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