हरियाणा: तीसरी कक्षा से पाठ्यक्रम में शामिल होगी प्राकृतिक खेती- कृषि मंत्री

अब प्रकृतिक खेती के जरिए देश को स्वस्थ व विकासित बनाया जाएगा। आईसीएआर (इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च) और कृषि संस्थानों के माध्यम से प्राकृतिक खेती का रोल मॉडल तैयार किया जाएगा। इस खेती का आधार और मुख्य शोध केंद्र गुरुकुल कुरुक्षेत्र रहेगा। प्राकृतिक खेती को अपनाने और शोध करने के लिए देश के 425 कृषि विज्ञान केंद्रों व 20 बड़े कृषि संस्थानों के 25 फीसदी भूमि पर प्रयोग किया जाएगा। इस खेती का आधार और मुख्य शोध केंद्र गुरुकुल कुरुक्षेत्र रहेगा। तीसरी कक्षा से लेकर पीएचडी तक प्राकृतिक खेती पर पढ़ाई भी होगी। इसके लिए पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही लागू कर दिया जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने दी।  

केंद्रीय मंत्री कृषि विज्ञानियों के दल के साथ गुरुवार को गांव कैंथला में गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्राकृतिक खेती फार्म हाउस पर आए थे। इससे पहले केंद्रीय राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के जनक आचार्य डॉ. देवव्रत, आईसीएआर के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक, केंद्रीय कृषि मंत्रालय सचिव मनोज आहुजा, एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश शकलानी, हिसार कृषि विश्वविद्यालय के शोध निदेशक डा. जीत राम शर्मा ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र की 180 एकड़ में की गई प्राकृतिक खेती का अवलोकन किया। 

आचार्य देवव्रत ने उन्हें प्राकृतिक खेती की बारीकियों से अवगत कराया। इसके उपरांत कृषि राज्यमंत्री व कृषि विभाग के अधिकारियों ने गुरुकुल गौशाला में प्राकृतिक खाद मॉडल का अवलोकन किया तथा गुरुकुल में प्राकृतिक कृषि पर आधारित सेमिनार के तकनीकी सत्र में शिरकत की। 

केंद्रीय राज्यमंत्री  ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और आय को दोगुना करने के उद्देश्य से बजट में प्राकृतिक खेती के लिए अलग से प्रावधान किया है। सरकार का उद्देश्य है कि किसानों को कम लागत पर अच्छा उत्पाद मिल पाए और आय में इजाफा हो सके तथा उपज और खेत केमिकल से मुक्त हो सके। राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत ने प्राकृतिक खेती करके देश ही नहीं विश्व में प्राकृतिक खेती करने की रोशनी दिखाई है। अब इस प्राकृतिक खेती के मॉडल को देश में अपनाया जाएगा। इसके लिए आईसीएआर और कृषि संस्थानों की 25 फीसदी भूमि पर प्राकृतिक खेती पर प्रयोग और शोध किया जाएगा, ताकि प्राकृतिक खेती का एक रोल मॉडल तैयार किया जा सके। इन सभी संस्थानों के शोध केंद्र में किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस खेती से देसी गाय का महत्व भी बढ़ेगा। इस खेती के माध्यम से देश को केमिकल खेती से मुक्त करके पर्यावरण को स्वच्छ बनाया जा सकेगा। राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत के प्रयासों से हिमाचल में दो लाख और गुजरात में ढाई लाख किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है

रासायनिक खेती का बेहतर विकल्प है प्राकृतिक खेती: आचार्य देवव्रत

गुजरात के राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन को सफल बनाने के लिए और रासायनिक खेती के विकल्प के रूप में प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। हिमाचल व गुजरात में लाखों लोगों के साथ-साथ अन्य प्रदेशों के किसान भी इसे अपना चुके हैं। प्राकृतिक खेती से किसान आत्मनिर्भर होंगे, लागत कम होगी, आय में इजाफा होगा और लोगों को रसायन मुक्त खाद्य सामग्री मिल पाएगी, जिससे देश के नागरिक स्वस्थ होंगे, पर्यावरण शुद्ध होगा, पानी की बचत होगी, धरती की सेहत में सुधार होगा।

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