ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील के संबंध में सुनवाई शुरू की है। इसी साल अगस्त की शुरुआत में नीरव मोदी को यूके से भारत में उसके प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी गई थी। इसके पीछे भारत लौटने पर उसके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान और आत्महत्या के खतरे को आधार बनाया गया था।
प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटेन की उच्च न्यायालय में की गई अपील में नीरण मोदी के वकीलों ने बताया था कि, उनके मुवक्किल डिप्रेशन का शिकार हैं। ऐसे में अगर उन्हें अदालत में पेश होने तक मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा जाता है तो उन्हें जरूरी चिकित्सा देखभाल नहीं मिलेगी, जिससे उनकी जान को खतरा है। साथ ही उन्होंने बताया कि मार्च 2019 में लंदन में नीरव मोदी की गिरफ्तारी और कोविड -19 महामारी के दौरान जेलों पर लगाए गए सख्त प्रतिबंधों के बाद, वैंड्सवर्थ जेल में नीरव मोदी की मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ गई थी।
गौरतलब है कि नीरव मोदी के स्वास्थ्य को लेकर कई चिकित्सा विशेषज्ञों को भी इस बात का सबूत देने के लिए पेश किया गया था कि वो डिप्रेशन का शिकार हैं और आत्महत्या कर सकते हैं।