हाईकोर्ट : ग्यारह साल से जेल में बंद विचाराधीन बंदी की जमानत मंजूर

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 साल छह महीने से भी अधिक समय से जेल में बंद विचाराधीन कैदी की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। उसे व्यक्तिगत मुचलके तथा दो प्रतिभूति पर रिहा करने का निर्देश दिया है। उस पर जानलेवा हमला करने सहित कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने जालौन ,उरई के अखिलेश की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है।

विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्फत कानूनी सहायता दी जानी चाहिए ऐसे बंदियों को

हाई कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता समाज को रोशनी दिखाते हैं। ऐसे मामलों में वकीलों की अहम भूमिका होती है। विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्फत कानूनी सहायता दी जानी चाहिए। हाई कोर्ट ने युवा अधिवक्ताओं को मदद में आगे आना चाहिए ताकि विचाराधीन कैदियों को उनके अधिकारों की जानकारी दी जा सके।

हाई कोर्ट ने जेल अधिकारियों से पूछा था कि इतने लंबे समय से जेल में बंद विचाराधीन कैदी को उसके विधिक अधिकार की जानकारी दी गई या नहीं। सिर्फ इतना बताया कि 11 साल से जेल में बंद हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सौदान सिंह केस में कहा है कि जेल प्राधिकारियों का दायित्व है कि वे कैदी को उसके अधिकारों की जानकारी दे।किसी कैदी को छुड़ाने वाला कोई न हो तो विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए कानूनी सहायता दी जाय।

याची पर एक केस उस समय दर्ज किया गया जब वह जेल में बंद था। एफआइआर में नामित नहीं था। बाद में विवेचना के दौरान आया। इस मामले में जेल अधिकारी भी आरोपित है। दो आरोपियों की जेल में ही मौत हो चुकी है। सह अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है।

सरकारी वकील ने कहा कि ट्रायल में अभियोजन पक्ष के 5-6 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। अभियोजन पक्ष की तरफ से कुल 63 गवाह हैं। निर्देश के बावजूद ट्रायल कोर्ट की आदेश सीट नहीं दी गई। 2012 से ट्रायल शुरू हुआ है। दशकों तक आपराधिक केस विचाराधीन हैं।

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