ये दोनों ऑबजर्वर्स भी आज शाम तक अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंप देंगे. विशेष पुलिस पर्यवेक्षक विवेक दुबे और विशेष पर्यवेक्षक अजय नायक को इस मामले में रिपोर्ट के लिए शनिवार शाम तक का ही समय दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि मुख्य सचिव की ओर से चुनाव आयोग को जो रिपोर्ट सौंपी गई है उसमें कई जानकारी स्पष्ट नहीं है और संशय बढ़ाने वाली हैं. क्योंकि तथ्यों का तो जिक्र है, लेकिन घटना के कारणों का स्पष्ट ब्योरा नहीं है. इससे ये स्पष्ट नहीं होता कि आखिर घटना की असली वजह क्या है. रिपोर्ट से यह भी पता नहीं चल पा रहा है कि यह घटना कहां और कैसे हुई है?
किसी नतीजे पर नहीं निकलती है मुख्य सचिव की रिपोर्ट
मुख्य सचिव ने भीड़ का दबाव, तंग सड़क, सड़क के एकदम किनारे लोहे का खंभा, दरवाजे का झटके से बंद होना, ममता बनर्जी के बाहर निकले पैर का घायल होना जैसी तथ्यात्मक बातों को लेकर अपनी रिपोर्ट में लिखी है, लेकिन रिपोर्ट किसी निर्णय तक पहुंचने में मदद नहीं करती. मुख्य सचिव की रिपोर्ट से यह भी पता नहीं चलता है कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी के पैर में लगी चोट हादसा था या हमला. पुलिस रिपोर्ट के आधार पर मुख्य सचिव ने निर्वाचन आयोग को दी रिपोर्ट में प्रत्यक्षदर्शियों के मत भी अलग-अलग बताए हैं. अधिकतर प्रत्यक्षदर्शी किसी न किसी पार्टी से जुड़े होने के नाते पार्टी लाइन पर ही बयान दर्ज करा रहे हैं. प्रत्यक्षदर्शियों का बयान निष्पक्ष नहीं लग रहा है.
जिला पुलिस को सीएम सुरक्षा की तरफ से जो जानकारी दी गई थी उसके मुताबिक मुख्यमंत्री के रूट को सैनिटाइज तो किया गया था लेकिन नाकेबंदी नहीं की सकती थी क्योंकि मुख्यमंत्री कहां-कहां रुकेंगी इसकी जानकारी किसी को नहीं थी. घटनास्थल पर भीड़ की मौजूदगी थी. भीड़ मुख्यमंत्री के वाहन के बिल्कुल नजदीक है ये तो मोबाइल वीडियो से भी पता चल रहा है लेकिन कोई ऐसा वीडियो नहीं है जिससे यह पता चले कि कार का दरवाजा लोहे के खंभे से टकराया था. इस बारे में भी स्पष्ट सबूत नहीं हैं कि कार के दरवाजे को धक्का दिया गया. लिहाजा आगे और विस्तृत जांच की जरूरत है.