परेशानियाँ कैसे दूर करेंगे किसान!


शनिवार 27 अगस्त को किसानों की समस्याओं से जुड़े दो समाचार मिले। चंडीगढ़ में किसान चैम्बर ऑफ कॉमर्स तथा जाट सभा की एक संयुक्त बैठक में किसानों की समस्याओं पर सेमीनार हुआ। दूसरा समाचार रिवाड़ी से है। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम बहुत बड़े किसान आंदोलन की तैयारी में जुटे हैं। इस बार 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली को घेरेंगे। चंडीगढ़ की गोष्ठी की खबर विवेकशील किसानों के लिए है। चंडीगढ़ की गोष्ठी में किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और उन्हें चुनौतियों का रचनात्मक तकनीक से हल करने तथा इस कार्य में सरकारों की सहायता और सहयोग प्राप्त कर कृषि व कृषक उत्थान की सार्थक पहल की गई।

हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक महेंद्र सिंह मलिक के प्रयास से चडीगढ़ के जाट भवन में किसान चैम्बर ऑफ कॉमर्स तथा जाट सभा चंडीगढ़ की एक संयुक्त बैठक देश के किसानों की ज्ज्वलन्त समस्याओं एवं उनके समाधान पर सार्थक चर्चा हुई और वक्ताओं ने घाटे का सौदा बन चुकी कृषि को संकट से उबारने के अनेक सुझाव दिए।

किसान मसीहा सर छोटूराम के नाती तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने मुख्य वक्ता के तौर पर कहा कि देश की स्वतंत्रता के बाद कोई भी सरकार ठोस कृषि नीति नहीं बना सकी है। परम्परागत खेती अब घाटे का सौदा बन गयी है। किसान खेती की नई तकनीकी और नए कृषि अनुसंधानों का लाभ उठाकर अपनी समृद्धि का द्वार खोलें। किसान कृषि वैज्ञानिकों, कृषि सम्बन्धी विभागों तथा कृषि केंद्रों से निकट संपर्क बनाएं और बहु फसलों खेती, फल-सब्ज़ी, तिलहन, फ्लोरीकल्चर, पशु पालन, डेयरी तथा औषधीय जड़ी-बूटी आदि की खेती को प्रोहत्साहन दें।

गोष्ठी में महेंद्र सिंह मलिक ने सुझाव दिया कि जिस प्रकार उद्यमियों के करोड़ों रुपये के कर्ज माफ़ किये गए हैं, वैसे ही आर्थिक संकट झेल रहे किसानों की भरपाई के लिए ठोस उपाय किये जायें। गोष्ठी में पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव रमेंद्र इंद्र सिंह, सेवा निवृत न्यायधीश प्रीतम पाल, प्रोफ़ेसर रणजीत सिंह धुम्मन, पत्रकार-लेखक देवेंद्र शर्मा, डॉक्टर परसराम एवं प्रोफ़ेसर हरबंस सिंह ने भी खेती व कृषक भाइयों की ज्ज्वलन्त समस्याओं तथा उनके समाधान सम्बन्धी विचार रखे। सभी वक्ताओं ने जिंसों के समर्थन मूल्य पर कानून बनाने पर भी बल दिया।

किसानों की परेशानियों व समस्याओं का प्रभावशाली ढंग से तीव्रता के साथ समाधान होना न सिर्फ किसान के हित में है, वरन इन समस्याओं का समाधान समग्र राष्ट्र के हित में है। यह अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों को तय करना है कि वे इनका समाधान बक्कल तार के और दिल्ली के बैल को लांडा करके( पूंछ काटकर) करेंगे या चंडीगढ़ के प्रबुद्ध किसान हितैषी सज्जनों की सलाह के मुताबिक।
गोविन्द वर्मा

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