भारत में मानवाधिकार उल्लंघन के कथित मामलों को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट पूर्वाग्रह से ग्रसित है। विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट भारत की सही तस्वीर पेश नहीं करती और वास्तविकता से कोसों दूर है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा कि भारत ऐसी रिपोर्ट को महत्व नहीं देता, जिसमें भारत की सटीक तस्वीर पेश नहीं की गई हो। उन्होंने कहा कि सरकार की नजर में इसका कोई महत्व नहीं है। उन्होंने मीडिया से भी इस रिपोर्ट को महत्व न देने का आग्रह किया।विज्ञापन
बेहद पक्षपातपूर्ण है रिपोर्ट, भारत को बारे में खराब समझ; इसे महत्व देना जरूरी नहीं
बता दें कि अमेरिकी रिपोर्ट में मणिपुर में मई, 2023 में हुए जातीय संघर्ष के बाद मणिपुर में कथित मानवाधिकारों के हनन की घटनाओं का जिक्र किया गया है। इससे जुड़े एक सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जायसवाल ने कहा, यह रिपोर्ट बेहद पक्षपातपूर्ण है और भारत के बारे में खराब समझ को दिखाती है।
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने जारी की रिपोर्ट
अमेरिकी कांग्रेस से स्वीकृत इस रिपोर्ट में राहुल गांधी को गुजरात के एक कोर्ट से दो साल की सजा, ब्रिटेन के मीडिया समूह बीबीसी पर भारत में आयकर छापों का भी जिक्र किया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की ओर से जारी रिपोर्ट में 2023 में कुछ सकारात्मक घटनाओं को भी जगह दी गई है। इनमें कश्मीर में मार्च में शिया मुस्लिमों को प्रदर्शन की अनुमति देना शामिल है।
गाजा के मानवीय संकट पर अमेरिकी संस्थाओं में आक्रोश; भारत की करीबी नजर
अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में हुए विरोध-प्रदर्शन से जुड़े सवाल पर रणधीर जायसवाल ने कहा कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होती है। हालांकि, जिम्मेदारी की भावना और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच सही संतुलन होना बहुत जरूरी है। बता दें कि पश्चिम एशिया के गाजा में इस्राइली सेना के हमले के मद्देनजर पैदा हुए मानवीय संकट के खिलाफ छात्रों ने प्रदर्शन किया। कोलंबिया के अलावा येल और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय समेत दर्जनों शैक्षणिक संस्थानों में ऐसे विरोध प्रदर्शन देखे गए। इनके बारे में विदेश मंत्रालय ने कहा, सरकार ने इन घटनाओं से जुड़ी खबरें देखी हैं। भारत का मानना है कि हर लोकतांत्रिक व्यवस्था में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सार्वजनिक सुरक्षा व कानून व्यवस्था के बीच सही संतुलन होना चाहिए।