वायु सेना (आईएएफ) ने चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर अपने तीन एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल स्क्वाड्रन का संचालन पहले ही शुरू कर दिया है। ऐसे में भारतीय और रूसी अधिकारी शेष दो स्क्वाड्रन की फाइनल डिलीवरी पर चर्चा करने के लिए जल्द ही बैठक करने वाले हैं।
भारत ने 2018-19 में रूसी पक्ष के साथ एस-400 मिसाइलों के पांच स्क्वाड्रन के लिए 35,000 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, जिनमें से तीन पहले ही देश में आ चुके हैं, लेकिन रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण शेष दो की आपूर्ति बाधित हुई थी।
रक्षा सूत्रों ने बताया, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तीन स्क्वाड्रन पहले ही चालू किए जा चुके हैं। एक इकाई चीन और पाकिस्तान दोनों को देख रही है, जबकि एक-एक इकाई चीन और पाकिस्तान दोनों मोर्चों के लिए निर्धारित की गई है। सूत्रों ने कहा कि शेष दो मिसाइल स्क्वाड्रन के अंतिम डिलीवरी कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए रूसी और भारतीय अधिकारी जल्द ही फिर से मिलेंगे। रूसी पक्ष अंतिम डिलीवरी समयसीमा के बारे में बहुत स्पष्ट नहीं है क्योंकि वे यूक्रेन के साथ संघर्ष में भी व्यस्त हैं।
सूत्रों ने आगे जिक्र किया कि कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भारतीय वायु सेना के लिए निर्मित स्क्वाड्रन का इस्तेमाल रूसियों द्वारा अपने स्वयं के उपयोग के लिए किया गया है, लेकिन कुछ भी पुष्टि नहीं हुई है और भारत भी केवल अपनी प्रणालियों को प्राप्त करने पर फोकस कर रहा है।
इस बीच, भारतीय रक्षा अधिग्रहण परिषद ने हाल ही में कुश परियोजना के तहत सतह से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की भारतीय मिसाइल सिस्टम की खरीद को मंजूरी दे दी है। भारतीय वायुसेना एलआर-एसएएम के डिलीवरी शेड्यूल को कम करने के लिए डीआरडीओ के साथ काम कर रही है। सतह से हवा में मार करने वाला लंबी दूरी का थ्री-लेयर मिसाइल (एलआरएसएएम) डिफेंस सिस्टम लगभग चार सौ किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम होगा।