‘मोदी है तो मुमकिन है’

30 नवंबर: यह नारा सत्ता की मलाई चाटने के इच्छुक दरबारियों, भारतीय जनता पार्टी के टिकट के तलबगारों या चाटुकारों की मण्डली ने नहीं लगाये अपितु सिलक्यारा सुरंग में महाकाल के शिकंजे में 17 दिनों तक फंसे 41 श्रमवीरों ने उस समय लगाएं जब वे सुरक्षित बाहर निकाले गए। सुरंग से बाहर आते ही इन श्रमिकों ने सबसे पहले गुफा (सुरंग) के द्वारा पर फिर से बनाये गए मंदिर पर माथा टेका, (सुरंग निर्माण के समय कंपनी ने मन्दिर तोड़ डाला था) अपना जीवन बचाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने वाले 140 करोड़ भारतीयों और बचाव अभियान में रात दिन जुटे सभी लोगों का आभार जताया तथा सुरंग से बाहर निकलते ही भारत माता की जय और मोदी है तो मुमकिन है के गगनभेदी नारे लगाये। एक मजदूर गब्बर सिंह नेगी ने कहा- हम आश्वस्त थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी हमें सुरक्षित बाहर लाने के लिए प्रयत्नशील हैं तो हमें अवश्य ही सुरक्षित निकाल लिया जाए‌गा। जब रूस व यूक्रेन में भयंकर गोलाबारी के बीच वे सैकड़ों भारतीयों को बचा कर स्वदेश ला सकते हैं तो हमे भी बचायेंगे। हमें गर्व है कि नरेन्द्र मोदी जैसा व्यक्ति हमारा प्रधानमंत्री है। अन्य श्रमिकों ने भी इसी प्रकार के विचार व्यक्त किए।

जब मजदूरों के सुरंग में फंसने का समाचार आया तो उत्तरा‌खंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तुरंत दुर्घटनास्थल पर पहुंचे और कहा कि अपने श्रमिक भाइयों की रक्षा के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने तुरन्त अपने प्रमुख सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा, पीएमओ के उप सचिव मंगेश घिल्डियाल, अपने (प्रधानमंत्री) पूर्व सलाहकार भास्कर कुल्बे, केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड‌करी, जनरल वी.के. सिंह, केन्द्रीय मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों, सेना, वायु सेना, विभिन्न केन्द्रीय प्रतिष्ठानों, आरबीएनएल, ओएनजीसी, एसजेवीएनएल, सीएचडीसी, डीआरडीओ के विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों के साथ रोबोट्स, ड्रोन, एंडोस्कॉपी कैमरा, उपकरण, मशीनरी, सेना का चिनूक हेलिकोप्टर, चिकित्सकों व पुलिस का जमावड़ा सिलक्यारा में चौबीसों घंटे बचावकार्य में जुटे रहे।

श्रमिकों की सुरक्षा व उनके जीवनदान के लिए देशभर में प्रार्थनाएं हो रही थीं। हवन-यज्ञ हो रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रमिकों की सलामती के लिए तिरु‌पति बालाजी धाम जाकर पूजा-अर्चना की। तेलंगाना की जन सभा में जनता जनार्दन से श्रमिकों के लिए प्रार्थना करने की अपील की। देश के प्रधानमंत्री से यही सब कुछ करने की अपेक्षा जनता करती है किन्तु इस गम्भीर संकट के दौरान मोदी फोबिया से पीड़ित लोग, जिनकी हैसियत किसी चपरकनाती, मिट्टी के माधो, चर‌णसेवक चिरकुट की है, मोदी को बौना व निकम्मा साबित करने में जुटे हैं।

सिलक्यारा संकट के दौरान उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं ने घेराव करने व मुख्यमंत्री सहित अन्य जिम्मेदार नेताओं को वहाँ से भगाने की कोशिश की। कहा गया कि यहां नेताओं की क्या जरूरत है, जबकि जनरल वी.के. सिंह, नितिन गड‌करी, पुष्कर सिंह धामी बचाव अभियान के समन्वय व देखरेख में जुटे थे। कांग्रेस की बदनीयती को देख पुलिस ने जब उन्हें लठियाया, तब दुम दबा कर भागे। जब सारा देश श्रमिकों की प्राणरक्षा की दुआ मांग रहा था, केन्द्र व राज्य सरकारों के तमाम विभागों व संगठनों ने समूची शक्ति लगाई हुई थी, तब भी कांग्रेस के ढिंढोरची अपनी कुटिलता से बाज़ नहीं आए। कांग्रेस ने सुरंग निर्माण का ठेका अदाणी ग्रुप को देने और दुर्घटना का ठीकरा नरेन्द्र मोदी के सिर फोड़ने का ओछा हथकंडा अपनाया। कांग्रेस के हैंडल पर सुरंग के सामने हरी झंडी लिए नरेन्द्र मोदी का कार्टून डाला गया। एक महिला प्रवक्ता ने पोस्ट डाली- चार राज्यों में चुनाव निपट गए। अब मोदी वहाँ (सिलक्यारा) फोटो खिचवाने जाएगा।
कांग्रेस के वंशवादी नेता व उनके दुमछल्ले बेशर्मी की पराकाष्ठा तक पहुंच चुके हैं। भारत की जनता लोकसभा के दो-दो चुनावों में उन्हें कूड़ेदान में फेक चुकी है, लगता है उनकी शर्मोहया हमेशा के लिए दफ़न हो गई है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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