बसपा में शामिल होते ही पश्चिमी यूपी के संयोजक बने इमरान मसूद

पश्चिमी यूपी के नेता इमरान मसूद बुधवार को बसपा में शामिल हो गए हैं। बसपा ने उन्हें पश्चिमी यूपी का संयोजक बनाकर आगे के लिए जिम्मेदारी भी सौंप दी। मायावती ने इमरान मसूद के बसपा में शामिल होने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि ये दिखाता है कि मुस्लिम समाज को यकीन है कि भाजपा की द्वेषपूर्ण व क्रूर राजनीति से मुक्ति के लिए सपा नहीं बल्कि बीएसपी ही जरूरी है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश व खासकर पश्चिमी यूपी की राजनीति में इमरान मसूद एक जाना-पहचाना नाम है जिन्होंने आज अपने करीबी सहयोगियों के साथ मुझसे मुलाकात की और वे समाजवादी पार्टी छोड़कर, अच्छी नीयत व पूरी दमदारी से काम करने के वादे के साथ बसपा में शामिल हो गए, जिसका तहेदिल से स्वागत है।

मायावती ने कहा कि पार्टी में काम करने के इनके जबर्दस्त जोश व उत्साह को देखकर आज ही उन्हें पश्चिमी यूपी बीएसपी का संयोजक बनाकर वहां पार्टी को हर स्तर पर मजबूत बनाने व खासकर अकलीयत समाज को पार्टी से जोड़ने की भी विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है।

उन्होंने कहा कि आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के बाद व अब स्थानीय निकाय चुनाव से पहले इमरान मसूद व अन्य लोगों का बीएसपी में शामिल होना यूपी की राजनीति के लिए इस मायने में शुभ संकेत है कि मुस्लिम समाज को भी यकीन है कि भाजपा की द्वेषपूर्ण व क्रूर राजनीति से मुक्ति के लिए सपा नहीं बल्कि बीएसपी ही जरूरी।

मायावती ने कहा कि बसपा ने पार्टी संगठन तथा अपनी सभी सरकारों में गरीबों, महिलाओं व अन्य उपेक्षितों के हित एवं कल्याण को सर्वोपरि रखते हुए अपने कार्यों से यह साबित किया है कि सर्वसमाज का हित, रोजी-रोजगार, सुरक्षा व धार्मिक स्वतंत्रता बसपा में ही संभव, जिसपर विश्वास समय की मांग है।

बसपा की सदस्यता लेने के बाद इमरान मसूद ने कहा कि हमें मायावती पर पूरा भरोसा है। उन्होंने बसपा की सरकार यह साबित भी किया है।

सपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिमों में खासे चर्चित कहे जाने वाले पूर्व विधायक इमरान मसूद ने बसपा ज्वाइन कर ली। इसे समाजवादी पार्टी के लिए करारा झटका माना जा रहा है क्योंकि निकाय चुनाव की तैयारी में सभी दल लगे हैं और इमरान मसूद का बसपा में आना उसके लिए अहम साबित हो सकता है।

विधानसभा चुनाव से पहले जनवरी माह में इमरान मसूद ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थामा था वह नकुड विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे । सहारनपुर व आसपासकी कई सीटों पर इमरान का अच्छा खासा प्रभाव है तो वह इसी के सहारे साइकिल पर सवार होकर चुनावी मैदान में उतरना चाहते थे। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीटों पर उनके प्रभाव को भाप नहीं पाए और उन्हें टिकट नहीं दिया।

इसका परिणाम यह रहा कि वह बुधवार को हाथी पर सवार हो गए। सपा के लिए यह इसलिए भी करारा झटका है क्योंकि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद किसी बड़े मुस्लिम नेता का टूटना उसके लिए आगे की राह मुश्किल कर सकता है। सपा के लिए यह इसलिए भी खतरे की घंटी है क्योंकि इमरान के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई दिग्गज मुस्लिम नेता संपर्क में हैं। ऐसे में यदि सपा से मुस्लिम नेताओं का टूटना शुरू हो गया और दलित मुस्लिम समीकरण बनना शुरू हो गया तो सपा की राह टेढ़ी हो जाएगी और बसपा के लिए रास्ते खोलना आसान होगा। 

इमरान ने बसपा ज्वाइन करने के बाद यह भी बता दिया कि विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों ने एकतरफा सपा को वोट दिया लेकिन उनका यह फार्मूला काम नहीं आया। अब दलित मुस्लिम समीकरण ही भाजपा को रोक सकता है। गौरतलब है कि इमरान मसूद साल 2007 में मुजफ्फराबाद सीट से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। अपनी पहली जीत के बाद वे लगातार तीन चुनाव हार गए। नकुड़ से दो विधानसभा चुनाव और सहारनपुर से संसदीय चुनाव। वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी रहे।

बसपा ज्वाइन करने के बाद उन्होंने कहा कि बसपा ही भाजपा को हराने में सक्षम है। विधानसभा चुनाव के दौरान वह कांग्रेस छोड़कर सपा में इसलिए आए थे कि भाजपा को हराने का प्रयोग किया जाएगा, लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हो सका। हमारे समाज में एक तरफा वोट सपा को दिया लेकिन सपा सफल नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि अब हम एक ताकत बनकर बसपा को जीत की ओर ले जाएंगे। आने वाले निकाय चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा को जीत दिलाएंगे।

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