‘वैश्विक संघर्षों में मध्यस्थता करने की क्षमता रखता है भारत’, यूएन में भारत की प्रतिनिधि का बयान

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा है कि भारत की रणनीतिक स्थिति उसे विभिन्न शक्ति समूहों से रचनात्मक रूप से जुड़ने में सक्षम बनाती है। साथ ही जटिल राजनयिक हालात में भी भारत ने वैश्विक संघर्षों में मध्यस्थता करने की क्षमता दिखाई है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में दीपक और नीरा राज सेंटर में रुचिरा कंबोज ने ‘इंडिया इन इमर्जिंग ग्लोबल ऑर्डर’ नामक विषय पर दिए अपने संबोधन में ये बात कही।  

कंबोज ने कहा कि आज तेजी से बदलते युग में जब कई जटिल चुनौतियां हैं, ऐसे वक्त में भारत ना सिर्फ अपनी विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि वाला देश है बल्कि शांति, एक दूसरे के प्रति सम्मान को मूर्त रूप देते हुए अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक अहम खिलाड़ी भी है। कंबोज ने कहा कि भारत का प्राचीन दर्शन ‘वसुधैव कुटुंबकम, दुनिया एक परिवार है’, भारत को वैश्विक मामलों में मध्यस्थ के तौर पर स्थापित करता है। उन्होंने कहा कि भारत की रणनीतिक स्थिति और देश का गुटनिरपेक्ष इतिहास, इसे विभिन्न समूहों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने में सक्षम बनाता है। 

कंबोज ने कहा कि भारत ने दिखाया है कि अलग-अलग विचारधारा और शासन मॉडल वाले देशों के साथ भी अच्छे संबंध रखना संभव है। भारत में हुए जी20 सम्मेलन के दौरान सर्वसम्मति से घोषणापत्र जारी हुआ और इसने भारत की जटिल भू राजनैतिक परिस्थितियों में भी आम सहमति हासिल करने की क्षमता को प्रदर्शित किया। कंबोज ने ये भी कहा कि तेजी से बदलती भू राजनीति में संयुक्त राष्ट्र अपने आप को ढाल नहीं पाया है। कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र में बदलाव की भी वकालत की। 

कार्यक्रम में कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि बीते दशक में भारत की अर्थव्यवस्था साल 2014 में 10वें स्थान से अब पांचवें स्थान पर पहुंच गई है। पनगढ़िया ने कहा कि 2026 के अंत तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

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