भारत-द.कोरिया: डॉ जयशंकर की कारोबारियों से मुलाकात, गिम्हे का दौरा भी किया

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर दक्षिण कोरिया दौरे पर हैं। उन्होंने कई अहम कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने अयोध्या की सिस्टर सिटी का दर्जा रखने वाले शहर- गिम्हे का दौरा भी किया। विदेश मंत्री ने दक्षिण कोरिया में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। गिम्हे में डॉ जयशंकर ने गिम्हे सिटी के मेयर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। उन्होंने भारत और दक्षिण कोरिया के बीच साझा सांस्कृतिक विरासत और लंबे समय से लोगों के बीच कायम संबंधों का जिक्र किया। विदेश मंत्री ने गिम्हे सिटी में स्थानीय निवासियों से भी मुलाकात की। मेयर से मुलाकात के दौरान अयोध्या के राम मंदिर की प्रतिकृति भी भेंट की।

कोरियन लोगों का ननिहाल है अयोध्या
गिम्हे सिटी राजधानी सियोल से लगभग 330 किमी दक्षिणपूर्व में है। कोरियाई किंवदंती के अनुसार, लगभग 2,000 साल पहले अयोध्या की एक किशोर राजकुमारी नाव में बैठकर कोरिया पहुंची थीं। समुद्री मार्ग से लगभग 4,500 किलोमीटर की दूरी तय कर कोरिया पहुंचीं राजकुमारी ने राजा किम सुरो से शादी की। इस किवदंती के मुताबिक राजा ने उत्तर एशियाई देश में गया की स्थापना की। राजकुमारी सुरीरत्ना कालांतर में रानी हियो ह्वांग-ओक नाम से जानी गईं। खुद को सुरीरत्ना का वंशज मानने वाले दक्षिण कोरिया के करीब 60 लाख लोग अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं।

विदेश मंत्री जयशंकर ने गिम्हे दौरा करने के बाद एक्स पर लिखा, आज गिम्हे सिटी के मेयर होंग ताए-योंग से मिलकर खुशी हुई। गिम्हे और अयोध्या का संपर्क हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत और लंबे समय से लोगों के बीच संबंधों का प्रमाण है। गिम्हे सिटी के साथ व्यापक सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग पर चर्चा हुई।

साझेदारी बढ़ाने में भारत की दिलचस्पी
दिन के एक अन्य अहम कार्यक्रम में डॉ जयशंकर ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया एक-दूसरे के लिए ‘महत्वपूर्ण भागीदार’ बन गए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि द्विपक्षीय आदान-प्रदान लगातार बढ़ रहा है। दो दिवसीय दक्षिण कोरिया की यात्रा पर जयशंकर ने कहा, भारत अब महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी, हरित हाइड्रोजन और परमाणु सहयोग जैसे नए क्षेत्रों में साझेदारी का विस्तार करने में दिलचस्पी रखता है।

डॉ जयशंकर ने चैंबर ऑफ कॉमर्स की बैठक से इतर येओ येओ जंग सा के मुख्य भिक्षु डोमयोंग से भी मुलाकात की। बैठक के दौरान, डोमयोंग ने डॉ जयशंकर को अपनी पुस्तक ‘गया बौद्धिज्म, अनलैचिंग द गेट’ भेंट की। विदेश मंत्री ने भारत की सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक परंपराओं में भिक्षु डोमयोंग की रुचि की सराहना की।

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