भारतीय और अमेरिकी सेनाएं इस साल कई फीट ऊंचाई पर एक साथ सैन्य अभ्यास करेंगी

ड्रैगन की हरकतें और विस्तारवादी मंसूबे लगातार बढ़ रहे हैं। इसका नतीजा ये है कि अमेरिका और भारत की नजदीकियां भी लगातार  बढ़ रही हैं।  दोनों देश एलएसी पर भी साथ-साथ नजर आने वाले हैं। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी को लेकर भारत और अमेरिका ने बड़ी तैयारी कर ली है। दोनों ही देश एलएसी पर हाई अल्टीट्यूड ड्रील करेंगे। भारत आए अमेरिकी सैन्य अफसरों की तरफ से इस ड्रील को लेकर ऐलान किया गया है। अमेरिकी अधिकारी ने चीन का भी जिक्र किया है। अमेरिकी की तरफ से चीन को कपटी बताया गया है। 

अमेरिकी पैसिफिक कमांड के जनरल चार्ल्स ने कहा है कि अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इंटरऑप्टेबिलिटी बढ़ाने वाले युद्धाभ्यास के लिए भारतीय और अमेरिकी सेनाएं इस साल 9,000-10,000 फीट ऊंचाई पर एक साथ सैन्य अभ्यास करेंगी। यूएस आर्मी पैसिफिक कमांडिंग जनरल चार्ल्स फ्लिन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों सेनाओं के बीच एक मजबूत ऑपरेशनल बॉन्ड के लिए केवल नौसैनिक इंटरऑपरेबिलिटी पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, लद्दाख के पास चीन के निर्माण और बीजिंग के हिस्से के रूप में अपने सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की बात कही। 

लद्दाख के पास चीन बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है। जिसको लेकर अमेरिका ने भारत को चेताया है। चीन की ये कार्रवाई उसके विस्तारवादी एजेंडे का हिस्सा है। चार्ल्स  ने कहा है कि जो कुछ भी एलएसी पर हो रहा है वो बेहद ही गंभीर और खतरनाक है। चीन ने पिछले कई वर्षों में सिर्फ कपट का रास्ता बनाया है। ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच केवल समुंदर ही नहीं जमीन पर भी और सैन्य सहयोग की जरूरत है। यही वजह है कि ये वार एक्सरसाइज की बात सामने आ रही है। 

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