भवन निर्माण के लिए बेचे जाने वाले विकसित या अविकसित भूखंड (प्लाट) का विक्रय जीएसटी के दायरे में नहीं आएगा। प्रदेश की जीएसटी अथारिटी फार एडवांस रूलिंग ने यह निर्णय दिया है। शासन एडवांस रूलिंग के निर्णय के खिलाफ अपीलेट बोर्ड में चला गया है। हालांकि मौजूदा स्थिति में एडवांस रूलिंग के फैसले से प्रदेश के लाखों नागरिकों को राहत मिलती दिख रही है जो घर और अन्य उपयोग के भवन निर्माण के लिए भूखंड खरीद रहे हैं।
अथारिटी फार एडवांस रूलिंग मप्र ने भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन के आवेदन पर यह निर्णय दिया है। भोपाल स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन ने गुजरात में बीते दिनों दिए गए निर्णय के बाद स्पष्टीकरण पाने के लिए आवेदन दाखिल किया था। इसके बाद एडवांस रूलिंग अथारिटी के सदस्य, राज्य व केंद्रीय जीएसटी में ज्वाइंट कमिश्नर मनोज चौबे व वीरेंद्र जैन ने यह निर्णय दिया है।
इन दलीलों पर दिया निर्णय
– मप्र एडवांस रूलिंग प्राधिकारियों ने स्पष्ट किया कि भूमि का विकास करके प्लाट बनाकर बेचने की प्रतिक्रिया में कहीं भी जीएसटी का दायित्व नहीं आता है।
– निर्णय के अनुसार प्लाट का विक्रय जीएसटी एक्ट की धारा 7 में सप्लाई की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है।
– फिर चाहे प्लाट बेचने वाला ड्रेनेज सुविधा, जल प्रदाय लाइन, विद्युत कनेक्शन, भूमि समतलीकरण व कामन सुविधाओं का विकास भी कर ले।
इस तरह के विकसित प्लाट विक्रय के लिए पूर्णता प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता नहीं है।
– एडवांस रूलिंग ने माना है कि यह व्यवहार जीएसटी कानून में कर मुक्त होकर सप्लाई की परिभाषा में नहीं आएगा।
– यह विक्रय व्यवहार भूमि विक्रय के अंतर्गत ही माना जाना चाहिए।
– दरअसल, जीएसटी एक्ट में भूमि विक्रय को इंट्री क्र. 5 अनुसूची 3 में रखा गया है।