उत्तराखंड पुलिस की पहल, पूरे प्रदेश में लगाए जाएंगे एक लाख पौधे

उत्तराखंड जीईपी अर्थात (सकल पर्यावरण उत्पाद) आधारित व्यवस्था लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। प्रदेश में पहली बार राज्य योजना में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के साथ अब जीईपी को भी आधार बनाया जाएगा।

विश्व पर्यावरण दिवस 2021 : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने किया वृक्षारोपण, की जलवायु बजटिंग की घोषणा

सरकारी, गैर सरकारी विभाग और संस्थाएं प्रतिवर्ष जलवायु बजट (क्लाइमेंट बजटिंग) की व्यवस्था करेंगी। जिसे राज्य में पर्यावरणीय सेवाओं को बढ़ाने में खर्च किया जाएगा। साथ ही राजस्व अभिलेखों में दर्ज राज्य में स्थित तालाबों और सूख चुके जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया जाएगा। 

पहले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और बाद में पत्रकार वार्ता में उनकी ओर से उत्तराखंड के वन और पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने इसकी जानकारी दी। डॉ. रावत ने बताया कि उत्तराखंड के लोग सदियों से पर्यावरण का महत्व समझते हैं। इसीलिए इस भूमि पर जल-जंगलों की पूजा की जाती है।

उन्होंने कहा कि कोरोना के इस दौर में लोगों को पर्यावरण का महत्व खूब समझ आ रहा है। राज्य सरकार ने पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। जिसके तहत राज्य में पहली बार राज्य योजना में जीडीपी के साथ अब जीईपी को भी आधार बनाया जाएगा।

एक साल के भीतर राजस्व अभिलेखों में दर्ज राज्य में स्थित सूख चुके तालाबों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया जाएगा। इसके अलावा सरकारी, गैर सरकारी विभाग और संस्थाएं प्रतिवर्ष अपने बजट में से एक निश्चित बजट पर्यारण को संरक्षित करने के लिए खर्च करेंगी।

इसके साथ ही प्रत्येक वर्ष पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले जिलों, संस्थाओं, विभागों, व्यक्तियों को विश्व पर्यावरण दिवस पांच जून के उपलक्ष्य पर सम्मानित किया जाएगा। इससे पूर्व विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सचिवालय परिसर में स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाएं अधिकारी : हरक
विश्व पर्यावरण दिवस पर सचिवालय परिसर में स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह की अध्यक्षता में ईको सिस्टम रेस्टोरेशन विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने अधिकारियों को राज्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ग्राउंड पर उतरकर काम करने की सलाह दी। 

संगोष्ठी में लेंटाना प्रबंधन एवं ग्रास लैंड विकास, मियावॉकी पद्धति से पौध रोपण, पिथौरागढ़ में जल संरक्षण के प्रयास, जायका परियोजना के अंतर्गत ईको रेस्टोरेशन संबंधी पहल, क्लाइमेट चेंज मिटिगेशन आदि विषयों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि राज्य के जलवायु परिवर्तन संबंधित प्रभाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होने की जरूरत है। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि वह भविष्य में प्रदेश संबंधी नीतियों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के न्यूनीकरण की दिशा में विशेष ध्यान रखेंगे।

संगोष्ठी के बाद पत्रकारों से बातचीत करने हुए वन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में विभिन्न डिविजन के माध्यम से 10 हजार वन प्रहरियों की नियुक्ति की जा रही है। कैंपा मद में इस बार राज्य को साढ़े चार करोड़ रुपये का बजट जारी हुआ है। जिसमें से 276 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं। कैंपा के तहत ही वन प्रहरियों की नियुक्ति की जा रही है।

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