बिहार निवासी दंपती तीन वर्षीय इकलौते मासूम बेटे को तेजस एक्सप्रेस से इलाज के लिए दिल्ली ले जा रहे थे। लेकिन रास्ते में अचानक तबीयत बिगड़ने पर मासूम ने दम तोड़ दिया। सूचना पर नॉन स्टॉप तेजस एक्सप्रेस को उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के टूंडला रेलवे स्टेशन पर रोका गया।
यहां शव को ट्रेन से उतारकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। परिजन ने मासूम का इलाज करते हुए साथ चल रही चिकित्सीय टीम पर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजन की तहरीर पर जीआरपी ने चिकित्सीय टीम को हिरासत में लेते हुए सभी चिकित्सीय उपकरणों को सील कर दिया है।
मूल रूप से झारखंड के जिला गिरिडीह के थाना गांवा अंतर्गत गांव नीमाडीह निवासी पवन कुमार गुप्ता बिहार के दरभंगा में सेंट्रल बैंक शाखा इकमीघाट में कृषि अधिकारी के पद पर कार्यरत है। वह बिहार के जिला दरभंगा थाना नगर सुबंगपुर रत्नोंपट्टी ससुराल में रहता है।
परिजन ने बताया कि 25 अगस्त को उनके इकलौते तीन वर्षीय बेटे कृष्ण कार्तिकेय को बुखार आया। इसके बेहतर इलाज के लिए 27 अगस्त को पटना भेज दिया। वहां उदयन हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। चिकित्सकों द्वारा लीवर खराब होने की बात कही गई। उन्होंने दिल्ली के लिए रेफर कर दिया। पिता पवन, मां नीलू देवी व दादा लाल साहू तेजस एक्सप्रेस से एम्स दिल्ली के लिए जा रहे थे।
रास्ते में इलाज के लिए एक चिकित्सीय टीम साथ में थी। इसमें डॉ मनीष कुमार व टेक्नीशियन विनय कुमार थे। ट्रेन बुधवार की सुबह कानपुर स्टेशन पहुंचती इससे पूर्व ही टीम द्वारा साथ लाए गए दोनों ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गए। इसी समय मासूम की हालत बिगड़ने लगी। साथ चल रही चिकित्सीय टीम कुछ कर पाती इससे पूर्व ही उसने दम तोड़ दिया।
ट्रेन में चल रहे स्टाफ द्वारा इसकी सूचना टूंडला नियंत्रण कक्ष को दी गई। ट्रेन के टूंडला पहुंचने पर रेलवे चिकित्सीय टीम ने भी बच्चे का परीक्षण किया। उसने भी बच्चे को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद जीआरपी ने शव को ट्रेन से उतार लिया।
परिजन ने चिकित्सीय टीम पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस को तहरीर दी। परिजन ने बताया कि ऑक्सीजन खत्म होने पर उनके बेटे की जान गई है। जीआरपी ने चिकित्सीय टीम को हिरासत में लेते हुए वेंटीलेटर मशीन, गैस सिलेंडर आदि को जब्त कर सील कर दिया है।
जीआरपी प्रभारी अख्तर अली का कहना है कि तेजस एक्सप्रेस में बीमारी के चलते मासूम की मौत हुई है। परिजनों ने साथ चल रही चिकित्सीय टीम के विरुद्ध तहरीर दी है। ऑक्सीजन सिलेंडर, वेटिंलेटर मशीन आदि को कब्जे में लेकर सील किया गया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट व जांच के उपरांत कार्रवाई की जाएगी।
वसूल लिए 73 हजार फिर भी खत्म हो गई ऑक्सीजन
पिता पवन कुमार ने बताया कि बेटे का लीवर ट्रांसप्लांट कराने को पटना से दिल्ली तक चिकित्सीय टीम के साथ ले जाने के लिए उदयन हॉस्पिटल ने 65 हजार रुपए लिए थे। टीम का किराया अलग से दिया था। ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था के लिए रात्रि 2.20 बजे ऑक्सीजन के लिए आठ हजार रुपए और फोन-पे से लिए थे। फिर भी कानपुर पर सिलेंडर नहीं पहुंचा। 10 मिनट चेन पुलिंग कर ट्रेन को रोके रखा गया। ऑक्सीजन खत्म होने के चलते उनके इकलौते बेटे की जान चली गई।
सब कुछ बेचने के बाद भी नहीं बचा लाडला
मासूम की मृत्यु पर माता-पिता का रोते हुए बुरा हाल था। रोते हुए मां के आंसू सूख गए थे मगर दिल रो रहा था। वहीं पिता हताश बैठा बस एक ही बात कह रहा था। चाहे वह बिक जाता मगर बेटा बच जाता। मृतक के पिता पवन ने बताया कि इलाज में अब तक वह करीब 10 लाख रुपए खर्च कर चुका है। दोस्तों व परिजनों का कर्जा हो गया है। दिल्ली इलाज के लिए वह सबकुछ बेचकर इकलौते बेटे का इलाज कराना चाहता था, किंतु वह उसे बचा नहीं पाया।