इकबाल अंसारी ने कहा अयोध्या में सिर्फ विकास की बात कीजिए

लखनऊ। छह दिसम्बर को बाबरी मस्जिद विध्वंस के तकरीबन 30 वर्ष पूरे हो रहे हैं। हालांकि इस मामले का सुप्रीमकोर्ट से निर्णय भी आ गया है, शीर्ष अदालत के निर्णय के बाद राम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण शुरू है। उधर मस्जिद के लिए अयोध्या जनपद में ही 5 एकड़ जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी जा चुकी है। मस्जिद निर्माण का भी पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। अयोध्या विकास प्राधिकरण से नक्शा पास होने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। इस पूरे मामले में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी का कहना है कि न्यायालय से निर्णय आने के बाद अब इस मुद्दे के लिए कोई जगह नहीं है, हमें अब काला दिवस भी नहीं मनाना है और न ही कोई विरोध करना है।

इकबाल अंसारी ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने मस्जिद के लिए जो जमीन दी है, उसे सुन्नी वक्फ बोर्ड सेन्ट्रल बोर्ड को उपलब्ध करा दी गई है। ऐसे में अब इस मुद्दे को लेकर पक्षकारों का कोई लेना देना नहीं है। पुर्नविचार याचिका के सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ लोग जो इस कमेटी में नहीं है, वे यह मसला उछाल देते हैं। वैसे अब लोगों को मंदिर मस्जिद छोड़कर विकास की बात करनी चाहिए। सियासी लोग भी विकास को बात करें तो बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट से जो भी निर्णय आया है, उससे हम संतुष्ट हैं। इस मामले को अब आगे नहीं खींचना चाहते हैं।

एक दूसरे सवाल के जवाब में इकबाल अंसारी कहते हैं कि अब 6 दिसंबर को काला दिवस मनाने की जरूरत नहीं है और न ही ऐसा कुछ करना चाहिए। हिंदुस्तान में मंदिर और मस्जिद के नाम पर अब कोई बखेड़ा नहीं खड़ा होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि जब भी चुनाव आता है तो लोगों को मंदिर और मस्जिद मुद्दे पर बरगलाया जाता है। इस तरह के चुनावी हथकंडे इस्तेमाल करने की जगह विकास और रोजगार के मुद्दे पर जोर होना चाहिए।

बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला 9 नवंबर को सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या सहित पूरे हिंदुस्तान में सुकून रहा। हम यही चाहते हैं कि मुसलमानों की तरफ से अब कहीं भी कोई काला दिवस न मनाया जाए। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा हम यह चाहते हैं कि भारत में मंदिर और मस्जिद के नाम पर शांति होनी चाहिए। लोग विकास की बात करें, रोजगार की बात करें। अयोध्या में विकास की बहुत बड़ी कमी थी। आज भी है, इसलिए अब केवल विकास और रोजगार की ही बात होनी चाहिए। मंदिर-मस्जिद और जात-धर्म के नाम पर लोगों को बांटना उचित नहीं। धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह किया जाता है। अब यह बंद होना चाहिए।

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