यह दंगा नहीं, अराजकता है!

समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी तथा वामपंथी तंज कस कर पूछ रहे हैं कि योगी शेखी बघारते फिर रहे थे कि उनके शासन में एक भी दंगा नहीं हुआ। अब सहारनपुर, देवबंद, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, लखनऊ, प्रयागराज में दंगे कैसे भड़क गए? यह योगी-मोदी की बड़ी नाकामी है।

जिन्हें विपक्षी नेता दंगा बता रहे हैं, वे दंगा नहीं अराजकता, कानून व्यवस्था तथा भारतीय संविधान के प्रति बड़ी योजनाबद्ध बगावत है। चूँकि जुमे की नमाज़ के बाद सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, दिल्ली में बवाल, हैदराबाद, कोलकात्ता, हावड़ा, मुंबई, छिंदवाड़ा और रांची आदि में भी बवाल हुआ। अतः विचारणीय है कि बच्चों को आगे करके, गलियों, छतो से पत्थर, फायरिंग व बमबाजी एक ही रणनीति के तहत करना सिद्ध करता है कि इस साजिश के तार एक ही जगह से जुड़े हैं।

ये पत्थर, तमंचे, बम और बवाल का सन्देश कहां से आया ?

जहां तक उत्तर प्रदेश का प्रश्न है, शासन ने उन 55 स्थानों को चिन्हित किया था, जहां बवाल की सम्भावना थी। धर्मगुरु झूठा आश्वासन देते रहे कि शांतिपूर्वक जुमे की नमाज़ अदा होगी किन्तु उन्हें तो अपने आकाओं की हुक्म उदूली नहीं करनी थी लिहाजा सब कुछ सोची समझी योजना के अनुसार हुआ। प्रयागराज में मुस्लिमबहुल करेली, अटाला, रसूलपुर नौरंगा रोड की हर गली से बवाली चाँद-सितारों का हरा झंडा और लाठी डंडे, सरिया, तमंचे, बम लेकर निकले। हर गली के घरों की छतों से पथराव हुआ। उपद्रवियों ने पीएसी वाहन, बाइकों में आग लगा दी। सारी गलियां व सड़कें उपद्रवियों के पत्थरों से भरी हुई थी। अनुमान है कि 10 ट्रक पत्थरों का इस्तेमाल किया गया।

अधिकारी कहते रहे कि सिर्फ एक जवान घायल हुआ। जिलाधिकारी संजय खत्री व डीआईजी तक के पत्थर लगे किन्तु वे असलियत छिपाते रहे। जब एडीजी प्रेमचंद मौके पर पहुंचे तो उन्हें सच बोलना पड़ा क्योंकि कैमरामैन व पत्रकार उन्हें वास्तविकता बताने लगे थे। एडीजी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उपद्रवी गुरल्ला युद्ध की तरह लड़ रहे थे। छोटे बच्चों को आगे कर पुलिस पर हमला कर रहे थे और भाग कर लौट जाते थे। पुलिस ने बड़े संयम से स्थिति को संभाला लेकिन अपराधी हरगिज बख्शे नहीं जायेंगे। जिन धर्मगुरुओं ने झूठा वादा किया वे स्थिति की सूचना देने और उपद्रवियों को शांत करने को सामने नहीं आये। जिन लोगों ने शांति व्यवस्था को भंग किया और जो कब्जाई हुई जमीनों पर उपद्रवों का अड्डा चला रहे हैं, उनके विरुद्ध सख्ती होगी। कानून हाथ में लेने की सजा मिलेगी। यह सिर्फ प्रयागराज की स्थिति का वर्णन था। पूरे देश में ऐसा ही माहौल बनाने की साजिश है। हमें शासन, प्रशासन, कानून, संविधान पर यकीन रखना चाहिए कि कानून के दायरे में रह कर अराजकतावादियों को सबक सिखाया जायेगा।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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