जगदीश सिंह झींडा ने एचएसजीपीसी की सदस्यता से दिया इस्तीफा

हरियाणा के गुरुद्वारों की अमृतसर अकाल तख्त से अलग कमेटी बनाने की मांग करने वाले जगदीश सिंह झींडा ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी गठन के 15 दिन बाद ही सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे को लेकर जगदीश सिंह ने शहर के जिमखाना क्लब में पत्रकारवार्ता की और राज्यपाल को भेजे इस्तीफे की जानकारी दी। वहीं उन्होंने भेजे इस्तीफे की प्रतियां भी मीडिया को उपलब्ध करवाई।

वहीं जगदीश सिंह ने कहा कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सरकारी कमेटी बन गई है। जबकि उन पर संगत का दबाव है, चूंकि 20 साल से अलग कमेटी की मांग कर रहे समिति से कुल चार सदस्यों को शामिल किया गया है, जो कि न्यायसंगत नहीं है। झींडा ने कहा कि 18 दिसंबर (रविवार) को कुरुक्षेत्र प्रदेश की समिति संघर्ष समिति और संगत की बैठक होगी।

जहां पर कमेटी को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। रणनीति बनाने के बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा। बता दें कि जगदीश सिंह झींडा साल 2000 से हरियाणा में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए संघर्ष कर रहे थे। 2014 में हुड्डा सरकार में बनी एडहॉक कमेटी के वे प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं।

हाल ही में दो दिसंबर को गठित कमेटी में भी उन्हें शामिल किया गया है। कमेटी प्रधान का चुनाव 21 दिसंबर को होना है। अब शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में जाने के सवाल पर झींडा ने कहा कि वे संगत के साथ चलेंगे। अपने शब्दों में उन्होंने एसजीपीसी में जाने से इंकार भी नहीं किया और न ही स्पष्ट रूप से जाने की बात स्वीकारी।

त्यागपत्र देने का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि यह संगत की नहीं बल्कि सरकार की कमेटी है। सरकार ने प्रबंधक कमेटी के कुल 38 सदस्य बनाए हैं। जिसमें अलग कमेटी की मांग करने वाली समिति के कुल चार सदस्यों को शामिल किया गया है। जबकि चार सदस्य कांग्रेस सरकार में बनी कमेटी से लिए गए हैं।

सरकार ने संघर्ष समिति से कुल चार सदस्यों को चुना है, जबकि 34 सदस्य बाहर से लिए हैं। सरकार की इस कमेटी से संगत को भारी निराशा हुई है, जिससे उनमें असंतोष है। जिसके चलते वे इस्तीफा दे रहे हैं। झींडा ने कहा कि उन्हें पद की लालसा नहीं है, लेकिन साथियों व संगत की अनदेखी वे सहन नहीं कर पा रहे। यहां जगदीश सिंह ने त्याग पत्र देने को अंतरात्मा की आवाज बताया। इस दौरान जोगा सिंह, जोगिंद्र सिंह झींडा, कश्मीर सिंह, दलबीर सिंह बाजवा, बाबा सुरेन सिंह सहित अनय शामिल रहे।

20 साल किया संघर्ष
जगदीश सिंह झींडा ने कहा कि साल 2000 से प्रदेश की अगल कमेटी के लिए संघर्ष कर रहे थे। इसके दौरान सदस्यों ने पुलिस की लाठियां खाई, जेल गए कई सदस्यों की इसमें जान तक जा चुकी है। ऐसे में अब कमेटी में उन्हें 50 प्रतिशत भी स्थान नहीं दिया गया। संघर्ष सहित से चार और 2014 में बनी एडहॉक कमेटी से चार सदस्यों को इस बार लिया गया है। जबकि 30 सदस्य बाहर से लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कमेटी में शामिल कुछ सदस्य मौका परस्त हैं, जो समय के अनुसार पासा पलट लेते हैं। इसमें वे सदस्य भी हैं जो अकाली कमेटी, हुड्डा सरकार में बनी कमेटी में शामिल थे। इसके बाद अब इस सरकार की कमेटी में शामिल है। वे मौका परस्ती कर रहे हैं।

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