जमीयत का मुस्लिमों को सन्देश !

जमीयत उलमा-ए-हिंद का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन रामलीला मैदान दिल्ली में सम्पन्न हो गया है। सम्मेलन में 17 प्रस्ताव पास किये गए। वक्ताओं के भाषणों व इन प्रस्तावो से प्रतिध्वनित होता है कि आज भारत की सत्ता पर ऐसे लोग काबिज हैं जिनका देश की आजादी के आन्दोलन में कोई योगदान नहीं था, वे अंग्रेजों की गुलामी करते थे। सभी वक्ताओं ने, खासतौर पर अध्यक्ष महमूद मदनी ने कहा कि आज देश के मुसलमानों का उत्पीड़न व अत्याचार चरम सीमा पर है। सरकारी एजेंसिया, पुलिस व बुल्डोजर के सहारे आतंकवाद-धर्मान्तरण तथा मदरसे का नाम लेकर मुसलमानों का उत्पीड़न करती हैं।

मौलाना मदनी ने कहा कि इस्लाम को बाहर से आया धर्म बताना सरासर गलत है। इस्लाम भारत का सबसे पुराना और सबसे श्रेष्ठ धर्म है। यह धर्म आज घोर संकट में है। इसे बचाना सबसे बड़ी चुनौती है। मौलाना ने 2024 में होने वाले चुनाव में सोच समझ कर वोट दे कर संकट से उबरने की अपील की।

सरकार को आरोपित करते हुए समान नागरिक संहिता को संविधान विरोधी बताया गया। इससे पहले लखनऊ में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में समानसविल कोड का विरोध किया गया था और इसके बरखिलाफ सिखो, आदिवासियों तथा अन्य अल्पसंख्यकों को जोड़ने की घोषणा की गई थी। जमियत के नेता पहले भी कह चुके हैं कि हिन्दुस्तान हमारा है। जिनकों हमारी नीति-रीति पसन्द नहीं वे भारत छोड़ कर चले जाये।

जिस प्रकार भारत जोड़ो का नाम लेकर कश्मीर पहुंचकर राष्ट्रध्वज व उठाने की धमकी देने वाली गहबूबा मुफ्ती और पत्थरबाजी के समर्थक तथा पाकिस्तान के पैरोकार उमर अब्दुल्ला को अपने साथ जोड़ा और ओवैसी, अजमल, ममता जैसे बंगलादेशी घुसपैठियों को गोलबंद करने में जुटे हैं, वह दर्शाता है कि 2024 का चुनाव महासमर का रूप लेगा।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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