पीओके पर केंद्र के फैसले का जम्मू-कश्मीर भाजपा ने किया स्वागत, उमर अब्दुल्ला ने मोदी पर किया कटाक्ष

नए संशोधन विधेयक के तहत जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए आरक्षित करने के फैसले को सराहते हुए जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। हम आपको बता दें कि लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब देते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जानकारी दी थी कि जम्मू और कश्मीर के इतिहास में पहली बार नौ सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं और अनुसूचित जाति के लिए भी सीट आरक्षित की गई हैं। इस संदर्भ में जम्मू स्थित भाजपा मुख्यालय पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रविंद्र रैना ने कहा कि मोदी सरकार सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाली सरकार है और किसी के भी अधिकार या हक पर एक इंच भी आंच नहीं आने दी जायेगी। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा विधानसभा चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार है लेकिन चुनाव की तारीखों का ऐलान भाजपा को नहीं बल्कि भारतीय निर्वाचन आयोग को करना है।

उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया

दूसरी ओर, पीओके के विस्थापित लोगों को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक सीट दिये जाने के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि उनकी पार्टी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के विस्थापित निवासियों के लिए विधानसभा में सीट आरक्षित करने के खिलाफ नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि यह फैसला निर्वाचित सरकार पर छोड़ देना चाहिए। उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी लोकसभा द्वारा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पारित करने के बाद आई, जिसमें कश्मीरी प्रवासी समुदाय के दो सदस्यों और पीओके से विस्थापित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधानसभा में नामित करने का प्रावधान है। अब्दुल्ला ने कुलगाम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘इससे पहले, हम पीओके को वापस हासिल करने के बारे में सुनते थे। अब, क्या यह केवल आरक्षण पर ही रुक गया है? जहां तक आरक्षण का सवाल है, हमने 1947 से अपनी विधानसभा में पीओके के लिए सीट आरक्षित की हैं। उन्हें अपना काम करने दें, फिर सीट भरें।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आरक्षण के जरिये वह करने की कोशिश कर रही है जो वह चुनाव के जरिये नहीं कर सकती। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘वे आरक्षण के माध्यम से विधानसभा में अपनी सीट की संख्या बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। हम आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, हम आरक्षण का समर्थन करते हैं। हमने पहले भी महिलाओं और अन्य लोगों को आरक्षण दिया है।’’

पीओके से विस्थापित लोग निराश!

उधर, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से विस्थापित लोगों के लिए काम करने वाले संगठन एसओएस इंटरनेशनल ने केंद्र द्वारा समुदाय के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सिर्फ एक सीट आरक्षित करने पर निराशा व्यक्त की है। एसओएस इंटरनेशनल के अध्यक्ष राजीव चुन्नी जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक के लोकसभा में पारित होने पर प्रतिक्रिया जता रहे थे, जिसमें कश्मीरी प्रवासी समुदाय के दो सदस्यों और पीओके से विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधानसभा में मनोनीत करने का प्रावधान है। चुन्नी ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “उन्होंने (केंद्र सरकार) हमें अपमानित किया है। हमारी आबादी 17 लाख है और हमारी जमीन पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है… हमें आश्चर्य है कि हमें सिर्फ एक सीट दी गई, जबकि घाटी (कश्मीर) के प्रवासियों को दो सीटें दी गईं जिनकी आबादी तीन लाख है।’’ उन्होंने कहा कि पीओके के लिए 24 सीटें आरक्षित हैं और वे अपनी आबादी के अनुसार कम से कम एक तिहाई सीटों की मांग कर रहे हैं ताकि समुदाय के मुद्दों को हल के लिए विधानसभा में उठाया जा सके। चुन्नी ने कहा, ‘हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं… भले ही आपने उन्हें (कश्मीरी प्रवासियों को) चार या पांच सीटें देते हों, हमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन जो हक है वह हमें भी दिया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि उनका समुदाय इस विधेयक से नाखुश है और आने वाले दिनों में एकसाथ बैठकर चर्चा करेंगे और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष की रणनीति बनाएंगे।

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