जम्मू-कश्मीर में 392 राजस्व नक्शे (मुसाविस) गायब मिले हैं। जम्मू-कश्मीर में कृषि विकास की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता के ध्यान में जब यह बात आई तो उन्होंने कड़ा संज्ञान लिया। उन्होंने इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के साथ ही गहन जांच के आदेश दिए।
इसके साथ गायब रिकार्ड को फिर से बनाने की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि इतने महत्वपूर्ण रिकार्ड के गायब होने का आधार अस्वीकार्य है। यह सीधा-सीधा आपराधिक मामला है। डॉ. मेहता ने पारंपरिक प्रणाली से आधुनिक प्रणाली में रिकार्ड शिफ्ट करने से उत्पन्न किसी भी मुद्दे को हल करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने को कहा।
उन्होंने मौसमी गिरदावरी (फसल सर्वेक्षण) को डिजिटल रूप में करने पर जोर दिया। यह भी कहा कि किसानों की रजिस्ट्री बनाने के लिए वास्तविक किसानों को पंजीकृत करने हेतु मजबूत तंत्र तैयार किया जाए। कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कहा कि कृषि को नई दिशा देने के लिए और इसका डिजिटलाइजेशन करने के लिए एग्रीस्टैक प्रमुख पहल है।
सर्वेक्षण और भूमि अभिलेख आयुक्त कुमार राजीव रंजन ने बताया कि भू अभिलेखों के कंप्यूटरीकरण की प्रगति 96 प्रतिशत से अधिक है। स्कैन और डिजिटल दोनों डेटा सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं।
पहली बार 1100 हेक्टेयर भूमि पर बाजरे की खेती शुरू होगी
मुख्य सचिव ने बाजरा को सुपर फूड के रूप में बढ़ावा देने पर जोर दिया। कृषि विश्वविद्यालयों को कृषि आय ट्रैकिंग प्रणाली तैयार करने का निर्देश दिया गया। बताया कि विभाग घाटी में पहली बार 1100 हेक्टेयर भूमि पर बाजरे की खेती शुरू कर रहा है।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के सात घटकों के तहत वार्षिक कार्य योजना पर विचार किया गया। 66.05 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्य योजना को भारत सरकार द्वारा वित्त पोषण के लिए अनुमोदित किया गया था।